किसान नेता पर हमले के आरोपितों पर दर्ज नहीं हुई धारा 452, किसानों ने किया चक्का जाम

एक मॉल के समक्ष धरने पर बैठे किसान नेता मेजर सिंह संघेड़ा पर जानलेवा हमला करने वाले आरोपितों पर धारा 452 नहीं लगाने से किसानों में रोष है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 07 Sep 2021 04:59 PM (IST) Updated:Tue, 07 Sep 2021 04:59 PM (IST)
किसान नेता पर हमले के आरोपितों पर दर्ज नहीं हुई धारा 452, किसानों ने किया चक्का जाम
किसान नेता पर हमले के आरोपितों पर दर्ज नहीं हुई धारा 452, किसानों ने किया चक्का जाम

जागरण संवाददाता, बरनाला

एक मॉल के समक्ष धरने पर बैठे किसान नेता मेजर सिंह संघेड़ा पर जानलेवा हमला करने वाले आरोपितों पर धारा 452 नहीं लगाने से किसानों में रोष है। इसी रोष में मंगलवार को संयुक्त किसान मोर्चा की अगुआई में किसानों ने कचहरी पुल के नीचे धरना देकर आवाजाही ठप की।

बलवंत सिंह उप्पली, करनैल सिंह गांधी, बाबू सिंह खुड्डी कलां ने कहा कि किसान नेताओं का वफद इस संबंधी कई बार जिले के पुलिस व सिविल अधिकारियों से मिलकर हमले के आरोपितों को गिरफ्तार करने व बनती धारा लगाने की मांग कर चुका है कितु उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई। मजबूरन कचहरी पुल के नीचे दो घंटे तक चक्का जाम करना पड़ा है।

नेताओं ने कहा कि हरियाणा के करनाल में मंगलवार को रखी गई किसान महापंचायत के दौरान केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है व इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। सरकार तानाशाही रवैया अपना रही है व इसकी पहुंच के परिणाम बेहद खतरनाक होंगे। रोष प्रदर्शन करना हमारा जम्हूरी अधिकार है।

नछतर सिंह, गुरनाम सिंह बलवीर कौर, अमरजीत कौर, रणधीर सिंह, गुरदर्शन सिंह, मनजीत राज, रमनदीप कौर, बलजीत सिंह, उजागर सिंह, परमजीत कौर, परमिदर हंडियाया, बलदेव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने के बावजूद कृषि कानूनों का असर देखने को मिल रहा है। विगत एक वर्ष में देश भर की एपीएमसी मंडियों ने अपने मालिये में भारी गिरावट देखी है। मध्य प्रदेश में खेतीबाड़ी मार्केट बोर्ड के मालिये का 66 प्रतिशत नुकसान हुआ। बोर्ड ने मंडी की जगह किराए पर देनी शुरू कर दी है। उत्तर प्रदेश के एक मंत्री ने विधानसभा में बताया कि नए कानून पास होने के बाद सरकारी मंडियों का मालिया कम हो गया है व सरकार ने नई एपीएमसी मंडियों का निर्माण रोक दिया है। कारपोरेट कंपनियां फसल बीमा के बाद अब रिटेल ट्रेड के बहाने खाद व बीज मार्केट को हड़पने व किसानों को लूटने की तैयारी कर रही हैं। इन स्टोरों पर किलो-दो किलो के पैकेटों में मिलने वाले खाद व बीज सहकारी स्टोरों से कई गुना अधिक कीमत पर मिलते हैं।

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