उल्लास से मनाई लोहड़ी, एक दूसरे को दी बधाई
इंटरनेट मीडिया के चलते भले ही आज लोग विदेशों में मनाए जाने वाले त्योहार की बधाई दी।
अमनदीप राठौड़, बरनाला : इंटरनेट मीडिया के चलते भले ही आज लोग विदेशों में मनाए जाने वाले त्योहारों के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। लेकिन अपने तीज त्योहार भी लोग खुशी से मनाते हैं। उत्तर भारत में मनाया जाने वाला त्योहार लोहड़ी, माघी व मकर संक्रांति का महत्व आज भी उतना ही बना है। भले ही कुछ बदलाव आए हैं लेकिन परंपरा खत्म नहीं हुई है, औ न होने वाली है। बरनाला में आज दिन भर लोग एक दूसरे को बधाई देते देखे गए तथा उपहारों का आदान प्रदान भी खूब होता है। पंजाब एंड सिंध बैंक के सीनियर मैनेजर परमजीत कौर ने कहा कि लोहड़ी के 15 दिन पहले ही बच्चे घर-घर जाकर लोहड़ी के गीत गाया करते थे व लोहड़ी मांगा करते थे। लेकिन अब यह परंपरा शहरों के साथ-साथ गांवों में भी समाप्त हो गई है। कुछ सालों पहले लोहड़ी पर्व का अपना विशेष महत्व होता था और इसकी तैयारियों को लेकर लोगों सहित बच्चों में भी खासा उत्साह होता था। गोबर के उपले भी जलाने के लिए इकट्ठे किए जाते थे। इन सभी की पूजा-अर्चना की जाती थी और सभी घरों के लोग एक स्थान पर एकत्रित होते थे। लेकिन अब यह सब कुछ अलोप होता जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अपने पुरातन पर्व को नहीं भूलना चाहिए, हम जैसे पहले लोहड़ी का पर्व मनाते थे वैसे ही अब मनानी चाहिए।
बेटी की पहली लोहड़ी होने से खुशी का माहौल है
लीजा अरोड़ा ने कहा कि जिस घर में नवजात बेटे की पहली लोहड़ी होती अथवा जिस घर में कोई शादी होती है, उस घर में विशेष रूप से लोहड़ी मांगी जाती थी। लोग भी बड़े शौक व खुशी से ऐसी टोलियों का इंतजार किया करते थे व उन्हें पैसे, मूंगफली और गजक इत्यादि दिया करते थे। लोहड़ी के दो दिन पहले लड़के लकड़ियां एकत्रित करते थे व किसी एक सांझी जगह पर लोहड़ी जलाई जाती, लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। न तो लोहड़ी मांगने का रिवाज रहा है व न ही मिलकर लोहड़ी जलाने का। उन्होंने कहा कि ऐसे लग रहा है कि लोग अपने पर्व को भूलते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सबको मिलकर ही पर्व मनाने चाहिए। पूर मोहल्ले के हुए एक साथ
रजनी रानी ने कहा कि लोहड़ी मनाकर इसके इतिहास के बारे में जानकारी देकर इस परंपरा को जीवित रखने का प्रयास करती हूं। उन्होंने कहा कि लोहड़ी त्यौहार पंजाबी धर्म में धूमधाम से मनाया जाता है। उन्होंने कहा कि हमने मोहल्ले के सभी लोगों को एकत्र करके उपलों व लकड़ियों का एक बड़ा झुंड लगाकर साथ मिलकर लोहड़ी का पर्व मनाया व खूब सारी बातें की। उन्होंने कहा कि ऐसा करके उनके मन को काफी सकून मिला। उन्होंने कहा पूरे एक वर्ष बाद यह पर्व आता है इस लिए साथ मिलकर ही मनाना बेहतर है।