सिविल अस्पताल बरनाला की एमरजेंसी में हादसों का शिकार मरीजों को संभालने के लिए कोई नहीं
एमरजेंसी में मरीज भर्ती से लेकर रेफर तक परिजन ही उठा रहे मरीज।
--एमरजेंसी में मरीज भर्ती से लेकर रेफर तक परिजन ही उठा रहे मरीज
--सिविल अस्पताल बरनाला में एमरजेंसी में कर्मचारी व एबुलेंस चालक बने मूकदर्शक
--एमरजेंसी में ट्रेनिग स्टाफ समेत एक दर्जन कर्मचारी भी नहीं दे रहा सहारा सोनू उप्पल, बरनाला
सिविल अस्पताल बरनाला की एमरजेंसी में विभिन्न हादसों का शिकार मरीजों को संभालने के लिए कोई नहीं है। मरीजों की जान बचाने के लिए एमरजेंसी में ले जाने के लिए एमरजेंसी के बाहर मरीजों को कोई सुविधा व मदद मुहैया नहीं हो पा रही है, हालांकि सिविल अस्पताल में ट्रेनिग स्टाफ समेत एक दर्जन कर्मचारी हर समय एमरजेंसी में ड्यूटी पर तैनात रहता है व सुरक्षा कर्मी भी एमरजेंसी गेट पर तनदेही से ड्यूटी पर होता है। एमरजेंसी में मरीज को ले जाने के लिए कोई भी हाथ आगे नहीं बढ़ाता, जिस कारण बेबस परिजनों को खुद ही स्ट्रेचर निकाल मरीज को एमरजेंसी में इलाज के लिए ले जाना पड़ रहा है। सिविल अस्पताल प्रबंधन कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है।
हालात तो इस कदर बने है कि सिविल अस्पताल बरनाला एमरजेंसी में मरीज को प्राथमिक सहायता देकर उच्च इलाज के लिए पटियाला रैफर के दौरान मरीजों के परिजनों को ही एबुलेंस तक मरीज ले जाना पड़ रहा है। कई बार तो स्ट्रेचर ना संभलने के कारण मरीज स्ट्रेचर से ही गिर जाते है,
ताजा मामला वीरवार को सड़क हादसे का है। जिसमें मरीज द्वारा एमरजेंसी में ही शौचालय के कारण जहां कर्मचारी एमरजेसी ही छोड बाहर खड़े हो गए, वहीं मरीज को अकेला छोड गए। परिजन भटकते रहे व परेशानी का सामना करते रहे। ऐसे में जब मीडिया ने एमरजेंसी में दस्तक दी, तो कमी छिपाने को लेकर कर्मचारियों द्वारा मीडिया कर्मी से ही तू-तू मैं-मैं हो गई। जिसके बाद मीडिया कर्मी द्वारा मरीज को पटियाला मुफ्त रैफर करवाया गया।
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जांच करवाएंगे : एसएमओ
एसएमओ ज्योति कौशल ने कहा कि अगर ऐसी बात है, तो निदनीय है। एमरजेंसी में ड्यूटी स्टाफ व कर्मचारी का कर्तव्य व ड्यूटी बनती है कि मरीज को एमरजेंसी के इलाज के लिए भर्ती व रैफर के दौरान मरीज को मदद करना है लेकिन उनकी तरफ से जांच की जाएगी।