धान की बिजाई के लिए मजदूरों की कमी होने के कारण किसान परेशान

पंजाब में किसानों द्वारा अपने खेतों में हर वर्ष धान की बिजाई 26 लाख हेक्टेयर के करीब क्षेत्रफल में की जाती थी।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 07 Jun 2020 05:37 PM (IST) Updated:Sun, 07 Jun 2020 11:14 PM (IST)
धान की बिजाई के लिए मजदूरों की कमी होने के कारण किसान परेशान
धान की बिजाई के लिए मजदूरों की कमी होने के कारण किसान परेशान

संवाद सूत्र महलकलां, बरनाला

पंजाब में किसानों द्वारा अपने खेतों में हर वर्ष धान की बिजाई 26 लाख हेक्टेयर के करीब क्षेत्रफल में की जाती थी। इसका एक यह कारण है कि गेंहू व धान की फसल से बगैर दूसरी फसलों का मंडीकरन नहीं होने के कारण किसान ज्यादातर धान की फसल ही बीज रहे हैं। पंजाब में कृषि माहिरों की टीमों द्वारा किसानों के खेतों में पहुंच या किसानों के साथ तालमेल करके मक्का, मूंग की दाल व अन्य फसलों को बीजने के लिए प्रेरित किया जा रहा है व धान के बीजने से लगातार पानी के गिर रहे स्तर को बचाने के लिए भविष्य में आने वाले समय में पीने वाले पानी की बड़ी कमी आने के कारण किसानों को धान की बिजाई करने के लिए

काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है व धान की बिजाई के लिए प्रवासी मजदूरों की कमी होने के कारण किसान परेशान हैं। केंद्र व राज्य सरकार द्वारा लाकडाऊन के दौरान जारी किए आदेशों के बाद बसों व ट्रेन आदि के यातायात के साधनों लगी रोक के कारण धान की बिजाई समय बाहरले राज्य से आने वाले प्रवासी मजदूरों की बड़ी कमी होने के कारण किसानों को धान की बिजाई समय बड़ी समस्या बनी हुई है। उधर दूसरी तरफ कृषि विभाग की टीमों द्वारा धरती निचले लगातार पानी के गिर रहे स्तर को बचाने के लिए किसानों को धान की फसल को छोड़ कर मक्का व

अन्य फसलों को बीजने व सरकार द्वारा विशेष सहायता देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मजदूरों की कमी के मद्देनजर किसानों को धान की फसल की बिजाई सीधी मशीनों के साथ करने के लिए आगे आने की सलाह दी जा रही है। जिससे कि धरती निचले गिर रहे पानी के स्तर को बचाया जा सकें। इस अवसर पर भाकियू राजेवाल की जिला बरनाला इकाई के प्रधान ज्ञानी निरभै सिंह छीनीवाल, ब्लाक प्रधान कुलविदर सिंह, दरबार सिंह, जसमेल सिंह ने कहा कि केंद्र व राज्य सरकार किसानों को धान के साथ अन्य फसलों की बिजाई करवाने से पहले दूसरी फसलों का मंडीकरन करके लाभदायक भाव देने के लिए आगे आए। उन्होंने केंद्र व

राज्य सरकार से मांग की, कि सभी फसलों व सब्जियां का मंडीकरन करके किसानों को फसलों के लाभदायक मूल्य दिए जाएं।

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