किसानों ने बाबा बंदा सिंह बहादुर व स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा को दी श्रद्धांजलि
केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को रद करवाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर रेलवे स्टेशन बरनाला के बाहर पार्किंग समक्ष लगाया गया संयुक्त किसानों का रोष धरना बुधवार को 252वें दिन भी जारी रहा।
संवाद सहयोगी, बरनाला
केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को रद करवाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर रेलवे स्टेशन बरनाला के बाहर पार्किंग समक्ष लगाया गया संयुक्त किसानों का रोष धरना बुधवार को 252वें दिन भी जारी रहा। इसी तरह महलकलां टोल प्लाजा, बडबर टोल प्लाजा, दो माल, दो पेट्रोल पंप संघेड़ा व पेट्रोल पंप धनौला, भाजपा जिला प्रधान यादविदर शैंटी के निवास समक्ष, भाजपा नेता अर्चना दत्त शर्मा के निवास समक्ष किसानों का धरना भी जारी है।
किसान नेताओं ने कहा कि मुगलों ने बाबा बंदा सिंह बहादुर व उसके सैकड़ों साथियों को दिल्ली में शहीद कर दिया था। बंदा सिंह बहादुर ने सरहिद को फतेह करने के बाद पंजाब के बड़े इलाके पर कब्जा किया। उन्होंने जागीरदारों से जमीनें छीनकर गरीब किसानों को दीं जिसके चलते आज भी किसान उन्हें सत्कार सहित अपना पहला तहसीलदार मानते हैं।
आज ही के दिन 1900 ई. में झारखंड इलाके का आदिवासी लोक नायक व स्वतंत्रता सेनानी बिरसा मुंडा, अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान जेल में शहीद हो गए थे। उन्होंने ताउम्र लोकहित के लिए संघर्ष किया व आजादी हासिल करने के लिए लड़ते रहे। धरने में दोनों महान शख्शियतों को दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि भेंट की गई।
धरने को संबोधित करते बलवंत सिंह उप्पली, करनैल सिंह गांधी, बाबू सिंह खुड्डी कला, नछतर सिंह साहौर, गुरदर्शन सिंह, प्रेमपाल कौर, अमरजीत कौर, बिक्कर सिंह, गुरदेव सिंह मांगेवाल, हरचरण सिंह, गुरनाम सिंह ठीकरीवाला, गुरमेल शर्मा ने कहा कि हमारा विरसा अन्याय, जबर, जुल्म व हर तरह के दबाव के खिलाफ लड़ने व कुर्बानियां करने वाला विरसा है। मौजूदा किसान आंदोलन में भी यही विरसा हमें जबर-जुल्म के खिलाफ लड़ने व कुर्बानियां देने के लिए प्रेरित करता है। जो जमीनें बाबा बंदा सिंह बहादुर ने जागीरदारों से छीनकर गरीब किसानों को सौंपी। सरकार वही जमीनें बड़े कारपोरेटरों को सौंपने में लगी है। राम सिंह हाठुर व नरिदरपाल सिगला ने गीत व कविताएं पेश की।