लोकतंत्र को बचाने के लिए किसानी बचानी जरूरी

केन्द्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को रद करवाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर जिले के विभिन्न आठ जगहों सहित रेलवे स्टेशन बरनाला के बाहर पार्किंग समक्ष लगाया गया संयुक्त किसानों का रोष धरना मंगलवार को 265वें दिन भी जारी रहा।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 22 Jun 2021 03:39 PM (IST) Updated:Tue, 22 Jun 2021 03:39 PM (IST)
लोकतंत्र को बचाने के लिए किसानी बचानी जरूरी
लोकतंत्र को बचाने के लिए किसानी बचानी जरूरी

संवाद सहयोगी, बरनाला

केन्द्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को रद करवाने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर जिले के विभिन्न आठ जगहों सहित रेलवे स्टेशन बरनाला के बाहर पार्किंग समक्ष लगाया गया संयुक्त किसानों का रोष धरना मंगलवार को 265वें दिन भी जारी रहा।

मंगलवार को धरने को संबोधित करते बुद्धिजीवी सुरजीत बराड़ घोलिया ने भारत सरकार की लोक विरोधी व कारपोरेट पक्षीय आर्थिक नीतियों के विरोध व किसानों को इन नीतियों के खिलाफ मौजूदा आंदोलन चलाने के लिए बधाई दी। करनैल सिंह गांधी, गुरबख्श सिंह कट्टू, बारा सिंह बदरा, धर्मपाल कौर, सुरजीत बराड़, सुखदेव सिंह खालसा, बलवंत सिंह ठीकरीवाला, अमरजीत कौर, नछतर सिंह साहौर, यादविदर सिंह, गोरा सिह ढिलवां ने कहा कि इमरजैंसी की 46वीं वर्षगांठ व दिल्ली बार्डरों पर किसान आंदोलन के सात माह पूरे होने पर 26 जून का दिन खेती बचाओ- लोकतंत्र बचाओ दिवस के तौर पर मनाया जाएगा। इस दिन राज्य के राज्यपाल को राष्ट्रपति के नाम रोष पत्र दिए जाएंगे। पंजाब के किसान उस दिन मोहाली के गुरुद्वारा अंब साहिब में एकत्रित होने के बाद पैदल ही चंडीगढ़ की तरफ कूच करेंगे व पंजाब के गवर्नर को किसानों की मांगों संबंधी रोष पत्र देंगे। इसकी तैयारियों संबंधी मोहाली के नजदीकी जिलों से किसान यूनियनें मोहाली पहुंचने की जिलेवार ड्यूटी लगा दी गई है।

अन्य जिलों के किसान अपने जिलों के धरनों में हाजरी लगवा खेती कानूनों को रद करने की मांग करेंगे। किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार तीन खेती कानूनों के माध्यम से खेती सेक्टर को कारपोरेट घराने के हवाले करके किसानों को खत्म करने पर तुली है। लोकतंत्र को बचाने के लिए खेती को बचाना जरूरी है। मौजूदा आंदोलन खेती के साथ-साथ लोकतंत्र बचाने की भी लड़ाई है। राजविदर सिंह मल्ली, परमिदर सिंह, गगनदीप कौर ठीकरीवाला, नरिदरपाल सिगला ने गीत व कविताएं सुनाई।

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