कृषि सुधर कानून रद करवाने के लिए किसानों ने शहर में रोष मार्च निकाला

भारतीय किसान यूनियन एकता उगरांहा ने बुधवार को कृषि कानून को रद करने की मांग की।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 18 Nov 2020 09:59 PM (IST) Updated:Wed, 18 Nov 2020 09:59 PM (IST)
कृषि सुधर कानून रद करवाने के लिए किसानों ने शहर में रोष मार्च निकाला
कृषि सुधर कानून रद करवाने के लिए किसानों ने शहर में रोष मार्च निकाला

संवाद सूत्र, बरनाला : भारतीय किसान यूनियन एकता उगरांहा ने बुधवार को कृषि कानून को रद करवाने के लिए केंद्र की मोदी सरकार खिलाफ रोष मार्च किया। यह रोष मार्च अनाज मंडी से चलकर विभिन्न स्थानों से होता हुआ कचहरी चौंक बरनाला में समाप्त हुआ। इस अवसर पर किसान नेता चमकौर सिंह नैणेवाल ने कहा कि केंद्र सरकार पहले से ही आर्थिक रूप से कमजोर किसानी व फसलों की खरीद बंद करके कार्पोरेट घरानों को फसलें स्टोर करने की खुली छुट्टी देकर फसल मनमर्जी के दाम पर खरीदकर बाद में ज्यादा दामों पर बेचकर मेहनतकश वर्ग व किसानों का नुकसान करना चाहती है तथा अब रहती कसर पराली कानून लाकर एक करोड़ जुर्माना व पांच वर्ष की सजा करके किसानों को ओर कमजोर करके आत्महत्याओं में बढ़ोतरी करना चाहती है। उन्होंने कहा कि किसान कृषि कानून को रद करवाने के लिए 26 नवंबर को दिल्ली में पहुंचकर रोष करेंगे व कृषि कानून को रद करवाकर ही सांस लेंगे। इस अवसर पर करनैल सिंह, भगत सिंह, सुखदेव सिंह, बलजीत कौर, सुखदीप कौर, मनजीत कौर, बिदरपाल कौर, हरजिदर कौर, कर्मजीत कौर के अलावा अन्य सदस्य उपस्थित थे। कृषि सुधार कानून रद करवाने के लिए किसानों का धरना जारी

संवाद सूत्र, बरनाला : कृषि सुधार कानून रद करवाने के लिए किसानों का धरना बुधवार को भी जारी रहा। किसान अब रेलवे स्टेशन के बाहर पार्किंग, भाजपा जिला प्रधान यादविदर शंटी, भाजपा पंजाब नेता अर्चना दत्त, हंडिआया रोड शापिग मार्ट, बरनाला बाजाखाना रोड शापिग माल, हंडिआया, धनौला, संघेड़ा, धौला पेट्रोल पंप समेत बड़बर व महलकलां टोल प्लाजा समेत जिले में करीब 15 जगहों पर धरना जारी रखा हुआ है। किसान 26 व 27 नवंबर को दिल्ली कूच करेंगे। इस अवसर पर किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार कार्पोरेट घरानों को लाभ देने के लिए इस तरह के काले कानून पास कर रही है, जिसे वह किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार ने किसान विरोधी काले कानूनों रद नहीं किए तो वह इससे भी तीखा संघर्ष करने के लिए मजबूर होंगे।

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