नाटक व गीतों से भरा किसानों में जोश
केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को रद करवाने व एमएसपी की गारंटी देने वाला नया कानून बनाने की मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर विभिन्न किसान संगठनों द्वारा रेलवे स्टेशन बरनाला के बाहर पार्किंग स्थल के समक्ष किसानों का रोष धरना बुधवार को 224वें दिन में प्रवेश कर गया।
संवाद सहयोगी, बरनाला
केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीन कृषि कानूनों को रद करवाने व एमएसपी की गारंटी देने वाला नया कानून बनाने की मांग को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर विभिन्न किसान संगठनों द्वारा रेलवे स्टेशन बरनाला के बाहर पार्किंग स्थल के समक्ष किसानों का रोष धरना बुधवार को 224वें दिन में प्रवेश कर गया। 12 मई 1710 में बाबा बंदा सिंह बहादुर ने चप्पड़चिड़ी के युद्ध के मैदान में सरहिद के गवर्नर वजीर खान को मारकर सरहिद पर फतेह हासिल की थी। बाबा बंदा सिंह बहादुर वह पहले शासक थे, जिन्होंने जागीरदारों से जमीनें छुड़वाकर किसानों को वितरित की। इसलिए पंजाब के किसानों में उनके प्रति बेहद सत्कार है व किसान उन्हें अपना पहला तहसीलदार मानते हैं।
बुधवार को धरने में बाबा बंदा सिंह बहादुर को याद करके श्रद्धांजलि भेंट की गई। बीके गुमंटी के निर्देशन तहत वखरा जुनून नाटक ग्रुप ने कुत्ती रल गई चोरां नाल नाटक पेश किया। धरने को संबोधित करते बलवंत सिंह उप्पली, नारायण दत्त, गुरदेव सिंह मांगेवाल, गुरनाम सिंह ठीकरीवाला, मनजीत राज, गुरमीत सुखपुर, माहन सिंह, निरंजन सिंह, हरचरण सिंह, काका सिंह, अमरजीत कौर ने कहा कि नेताओं की जरूरतें आम लोगों की जरूरतों से नहीं मिलती। कोरोना बीमारी के दौर में देश आक्सीजन, वैक्सीन व अन्य मेडिकल सुविधाओं को तरस रहा है। प्रीत कौर धूरी व पाठक भाईयों के कविश्री जत्थे ने अपनी बुलंद आवाज से पंडाल में जोश भरा। मुख्तियार सिंह भैणी ने गीत पेश किया।