पांच दिन बाद भी सिर्फ आठ रूपटों पर दौड़ी बसें, नहीं मिल रहे मुसाफिर
बरनाला कोरोना वायरस के चलते दो माह के करीब बंद पड़ी पीआरटीसी बसें अब सरकार द्वारा नियमों अनुसार चलवानी शुरु कर दी है। लेकिन अगर बात करें पांच दिनों की तो पांच दिनों में प्रतिदिन आठ रुटों पर व एक दिन 14 रुटों पर पीआरटीसी द्वारा बसें उतारी गई लेकिन सवारियों की संख्या कम होने के कारण ड्राइवर व कंडक्टर
हेमंत राजू, बरनाला : कोरोना वायरस के चलते दो माह के करीब बंद पड़ी पीारटीसी बसें अब सरकार द्वारा नियमों अनुसार चलवानी शुरू कर दी है। लेकिन अगर बात करें पांच दिनों की तो पांच दिनों में प्रतिदिन आठ रूटों पर व एक दिन 14 रुटों पर पीआरटीसी द्वारा बसें उतारी गई, लेकिन सवारियों की संख्या कम होने के कारण ड्राइवर व कंडक्टर सवारियों का इंतजार करते रहते हैं, जब 11-12 सवारियां हो तो फिर जाकर बस स्टैंड से बसें निकलती हैं। अब पीआरटीसी ने बसों को मुनाफे की तरफ धकेलने के लिए 22-23 सवारियों को सोशल डिस्टेंस्टिग का ध्यान रखकर फिर बसों को चलाया जा रहा है, ताकि बस परिचालन का खर्च निकल सके।
गौर हो कि बसें सीधे रूटों पर चल रही हैं, रास्ते में सवारियों को नहीं उठाया जा रहा। अगर बस स्टैंड पर सवारियां नहीं तो पीआरटीसी की बसें नियमों के मुताबिक रास्तों से सवारियां उठानी शुरू कर दे, जिसके बाद पीआरटीसी मुनाफे की तरफ जा सकती है, वहीं सवारियों को भी इधर-उधर जाने में कोई परेशानी नहीं होगी। बसों में सवारियां कम होने का एक कारण यह भी है, क्योंकि लोग ज्यादातर अपने निजी वाहनों पर ही सफर कर रहे हैं।
पीआरटीसी के चीफ इंस्पेक्टर भूरा सिंह ने बताया कि सोमवार को पांच रूटों पर पीआरटीसी की बसें चली। पांच दिन की कमाई की अगर बात करें तो एक लाख 43 हजार 885 रुपये पीआरटीसी को कमाई हुई। उन्होंने कहा कि अब नियमों अनुसार सोशल डिस्टेंस्टिग का ध्यान रखते हुए 22 या 23 सवारियों होने पर बस को चलाया जाता है, ताकि परिचालन का खर्च निकाला जा सके।