दूसरे दिन भी बारिश के कारण मंडियों में आया गेहूं भीगा

बारिश से मंडियों में पड़े गेहूं के बचाव के लिए जिला प्रशासन की ओर से किए गए दावों के बावजूद भी बचाव के पूर्ण प्रबंध नहीं हो सके।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Apr 2021 07:06 PM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 07:06 PM (IST)
दूसरे दिन भी बारिश के कारण मंडियों में आया गेहूं भीगा
दूसरे दिन भी बारिश के कारण मंडियों में आया गेहूं भीगा

जागरण संवाददाता, अमृतसर

बारिश से मंडियों में पड़े गेहूं के बचाव के लिए जिला प्रशासन की ओर से किए गए दावों के बावजूद भी बचाव के पूर्ण प्रबंध नहीं हो सके। वीरवार को चाहे बुधवार के मुकाबले प्रबंधों में कुछ सुधार देखने को मिला। बावजूद काफी किसानों की ओर से लाई गई और यहां तक कि कुछ सरकारी एजेंसियों की ओर से खरीदी गई गेहूं भी खुले आसमान के नीचे पड़ा होने के कारण भीग गया।

सुबह हुई बारिश के चलते काफी किसानों ने आढ़तियों और मंडियों के अधिकारियों की सहायता से तिरपालों से गेहूं का ढक कर बचाया। फिर भी काफी गेहूं भीग गया। सरकार के आदेशों के बावजूद आढ़तियों के पास कम से कम 20 तिरपालें होनी जरूरी है। बहुत से आढ़तियों के पास निर्धारित तिरपालों की संख्या से कम तिरपालें भी थी।

उधर, अमृतसर के डीसी गुरप्रीत सिंह खैहरा ने कहा मंडियों में आए गेहूं के बचाव के लिए अधिकारियों और आढ़तियों को सख्त हिदायतें की दी गई है। जिसने भी लापरवाही बरती उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। मौसम में हो रहे बदलाव के चलते जिले में सरकारी एजेंसियों की ओर से गेहूं की खरीद में तेजी ला दी है। अलग-अलग एजेंसियों की ओर से की जा रही खरीद में से बस अधिक खरीद पनग्रेन की ओर से की गई है। अलग-अलग एजेंसियों की ओर से 85865 मीट्रिक टन गेहूं की मंडियों में खरीद हुई। जबकि मंडियों में आमद 101684 मीट्रिक टन गेहूं की आमद हुई थी। पनसप की ओर से 30390 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है। खरीदे गए गेहूं की सरकार की ओर से किसानों के खातों में 13 करोड़ 80 लाख रुपए की अदायगी कर दी गई है।

एफसीआइ की ओर से 5338 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया। मार्कफेड की ओर 28320 मीट्रिक टनल, पनसप की ओर से 15899 मीट्रिक टन और वेयर हाउस की ओर से 5918 मीट्रिक टन गेहूं की खरीद की गई है।

डीसी गुरप्रीत सिंह खैहरा ने कहा कि सभी खरीद एजेंसियों और प्राईवेट एजेंसियों को सख्य हिदायतें जारी की गई है कि हर खरीदे गए गेहूं की लिफ्टिंग 72 घंटों के भीतर होनी चाहिए और गेहूं की अदायगी किसानों के खाते में 48 घंटों में होना यकीनी बनाया जाए। इस में लापरवाही सहन नहीं होगी।

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