पीएम केयर फंड से भेजे गए वेंटिलेटर का निकला दम, 59 में से 47 खराब

सरकार ने कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए आत्मनिर्भरता का नारा देते हुए दिसंबर 2020 में इस अस्पताल में पीएम केयर फंड से 59 वेंटिलेटर्स भेजे थे। इनमें से 47 वेंटिलेटर्स खराब निकले हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 14 May 2021 07:00 AM (IST) Updated:Fri, 14 May 2021 07:00 AM (IST)
पीएम केयर फंड से भेजे गए वेंटिलेटर का निकला दम, 59 में से 47 खराब
पीएम केयर फंड से भेजे गए वेंटिलेटर का निकला दम, 59 में से 47 खराब

जागरण संवाददाता, अमृतसर: केंद्र सरकार द्वारा कोरोना काल में गुरुनानक देव अस्पताल (जीएनडीएच) में भेजे गए वेंटिलेटर्स दम तोड़ गए। सरकार ने कोरोना के बढ़ते केसों को देखते हुए आत्मनिर्भरता का नारा देते हुए दिसंबर 2020 में इस अस्पताल में पीएम केयर फंड से 59 वेंटिलेटर्स भेजे थे। इनमें से 47 वेंटिलेटर्स खराब निकले हैं। इन वेंटिलेटर्स को अस्पताल के 12 कोरोना वार्डो में रखा गया है। फरीदकोट सरकारी मेडिकल कालेज के बाद अमृतसर में भी खराब वेंटिलेटर्स मिलने के बाद हड़कंप मचा है।

दरअसल कोरोना की शुरुआत से पहले अस्पताल में 25 वेंटिलेटर्स थे। संक्रमण की शुरुआत के साथ ही केंद्र सरकार ने स्वदेशी वेंटिलेटर्स बनवाने शुरू किए। 59 वेंटिलेटर्स अस्पताल को दिए गए। अफसोस यह है कि इनमें से 47 वेंटिलेटर्स आन तो हुए पर इनमें कई तकनीकी खामियां थीं। इसके बाद 50 और वेंटिलेटर्स और आए, लेकिन इनमें से भी सिर्फ आठ ही काम कर रहे हैं।

अस्पताल में लेवल थ्री के मरीजों को वेंटिलेटर्स की जरूरत रहती है। वर्तमान में सिर्फ 40 वेंटिलेटर्स ही काम कर रहे हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या के अनुपात में ये वेंटिलेटर्स कम हैं। हालांकि अस्पताल प्रशासन ने वेंटिलेटर्स तैयार करने वाली कंपनी को ईमेल भेजकर वेंटिलेटर्स ठीक करने की मांग की है। इस संबंध में वीरवार को कंपनी और अस्पताल प्रशासन के बीच वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए बातचीत हुई। कंपनी ने तर्क दिया कि शुक्रवार को तकनीकी टीम भेजकर इन्हें ठीक करवाया जाएगा। अस्पताल के एनेस्थीसिया विभाग के प्रोफेसर डा. जेपी अत्री का कहना है कि इस समय वेंटिलेटर्स की सर्वाधिक जरूरत है। हम इन्हें ठीक करवाने का प्रयास कर रहे हैं। किन मरीजों को पड़ती है वेटिंलेटर की जरूरत

वेंटिलेटर्स एक ऐसा चिकित्सा उपकरण है जिसके जरिए मृत्युशैया पर पड़े मरीज की सांसें सहेजी जाती हैं। ऐसे मरीज जिनका आक्सीजन स्तर 60 से नीचे चला जा उन्हें वेंटिलेटर पर रखा जाता है। असल में कोरोना संक्रमित मरीज पर जब आक्सीजन भी काम नहीं करती तब उसे वेंटिलेटर स्पोर्ट पर रखा जाता है। इसे लाइफ स्पोर्ट कहते हैं। गुरुनानक देव अस्पताल में आक्सीजन की कमी तो है ही, अब वेंटिलेटर्स खराब होने की वजह से मरीजों की जान जोखिम में पड़ सकती है। लेवल थ्री का एक ही बेड बचा

गुरुनानक देव अस्पताल में लेवल थ्री मरीज के लिए सिर्फ एक ही बेड बचा है। कुल 250 बेडों में से 249 पर मरीज दाखिल हैं। यानी अब यदि एक से अधिक कोरोना मरीज आए तो यहां बेड नहीं मिल पाएगा। हालांकि श्री गुरु रामदास अस्पताल वल्ला में लेवल थ्री के 44 बेड उपलब्ध हैं।

chat bot
आपका साथी