फोटोथेरेपी दे रही कोरोना को आमंत्रण, एक मशीन पर रखे हैं दो नवजात

कोरोना काल में सरकारी व्यवस्था की यह सबसे भयावह तस्वीर है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 11:05 PM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 11:05 PM (IST)
फोटोथेरेपी दे रही कोरोना को आमंत्रण, एक मशीन पर रखे हैं दो नवजात
फोटोथेरेपी दे रही कोरोना को आमंत्रण, एक मशीन पर रखे हैं दो नवजात

नितिन धीमान, अमृतसर

कोरोना काल में सरकारी व्यवस्था की यह सबसे भयावह तस्वीर है। गुरु नानक देव स्थित (जीएनडीएच) स्थित पीडिएट्रिक वार्ड की फोटोथेरेपी मशीन में एक साथ दो-दो बच्चों को रखा गया है। आम दिनों में भी ऐसा होता है, लेकिन अब कोरोना महामारी के चलते यह काफी जोखिम भरा हो सकता है। हाल ही में गुजरात के गांधीनगर में 44 नवजात कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। यह संक्रमण उन्हें उनकी मां की कोख से ही मिला। अगर जीएनडीएच में फोटोथेरेपी मशीन में रखा एक भी नवजात पॉजिटिव हुआ तो सिर्फ पीडिएट्रिक वार्ड ही नहीं, अपितु पूरा अस्पताल संक्रमण ग्रस्त हो सकता है।

कोरोना वायरस किसी की उम्र नहीं देखता। नवजात शिशुओं से लेकर अधेड़ आयु के लोगों को अपना निशाना बना सकता है। अमृतसर में ढाई माह के नवजात की कोरोना से मौत हो चुकी है। फोटोथेरेपी मशीन में रखा कोई नवजात कोरोना पॉजिटिव हुआ तो इससे संक्रमण का प्रसार बहुत तेजी से होगा। कोरोना का खतरा तो है, लेकिन एक मशीन में बच्चों को रखने से कई और बीमारियों का प्रसार भी हो सकता है। नवजात के मलमूत्र से दूसरा नवजात संकमित हो सकता है। सांस के जरिए भी कई वायरसों का आदान-प्रदान हो सकता है। यहीं बस नहीं, मशीनों के अंदर सिमटे बच्चों के अभिभावक भी आसपास ही खड़े रहते हैं। इससे भी संक्रमण हो सकता है।

पीडिएट्रिक वार्ड में हैं 30 मशीनें

जीएनडीएच स्थित बहुमंजिला पीडिएट्रिक वार्ड में 30 फोटोथेरेपी मशीनें हैं। फोटोथेरेपी मशीन से निकलने वाली किरणें नवजात को उक्त बीमारियों से लड़ने में सहायी साबित होती हैं।

प्रतिदिन 80 बच्चों को दिया जाता है उपचार

इस घोर लापरवाही का कसूरवार सिस्टम है। मेडिकल शिक्षा व खोज विभाग द्वारा पीडिएट्रिक वार्ड में इंस्टॉल की गई फोटोथेरेपी मशीनें नाकाफी हैं। महज तीस मशीनों के जरिए प्रतिदिन साठ से अस्सी बच्चों को उपचार दिया जा रहा है। स्टाफ भी सीमित है।

इन बच्चों को रखा जाता है मशीन में

फोटोथेरेपी मशीनों में उन बच्चों को रखा जाता है जो समय पूर्व जन्मे हों। जन्म से ही काफी कमजोर हों। जन्म होते ही पीलिया का शिकार हो जाएं। जन्म के बाद से ही सांस लेने में तकलीफ महसूस कर रहे हों।

व्यवस्था में बदलाव करेंगे : सोनी

मेडिकल शिक्षा व खोज विभाग के मंत्री ओमप्रकाश सोनी का कहना है कि बहुत जल्द हम पीडिएट्रिक वार्ड की व्यवस्था में बदलाव करेंगे। हर बच्चे को अलग मशीन पर रखा जाएगा।

व्यवस्था में सुधार नहीं कर पा रहे एमएस

अस्पताल प्रशासन के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. रमन शर्मा इन दिनों पीपीई किट्स में हुए कथित घोटाले की जांच का सामना कर रहे हैं। वह न तो अस्पताल की कार्यविधि की समीक्षा कर पा रहे हैं और न ही व्यवस्था में सुधार की दिशा में ठोस योगदान दे पा रहे हैं। यही वजह है कि बार-बार फोन करने के बावजूद उन्होंने फोन तक नहीं उठाया।

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