सिविल अस्पताल में हर माह बचते हैं दो लाख रुपये, ढाई करोड़ का बिजली बिल भरने में लग जाएंगे कई साल

स्वास्थ्य विभाग ने यूजर चार्जेज की मद में प्राप्त होने वाली आय से सिविल अस्पताल का बिजली बिल भरने का जो फरमान सुनाया है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 10 Sep 2021 10:00 AM (IST) Updated:Fri, 10 Sep 2021 10:00 AM (IST)
सिविल अस्पताल में हर माह बचते हैं दो लाख रुपये, ढाई करोड़ का बिजली बिल भरने में लग जाएंगे कई साल
सिविल अस्पताल में हर माह बचते हैं दो लाख रुपये, ढाई करोड़ का बिजली बिल भरने में लग जाएंगे कई साल

जासं, अमृतसर: सरकारी अस्पतालों में मरीजों से लिए जाने वाले सरकारी शुल्क यानी यूजर चार्जेज से सरकार सारा सिस्टम चलाने की कोशिश करती है। इस आय से सरकारी अस्पतालों में बेहतरीन सुविधाएं नहीं दी जा सकतीं। अब स्वास्थ्य विभाग ने यूजर चार्जेज की मद में प्राप्त होने वाली आय से सिविल अस्पताल का बिजली बिल भरने का जो फरमान सुनाया है।

अस्पताल का करीब ढाई करोड़ रुपये बिजली बिल पेंडिग है। अस्पताल प्रशासन के पास महज 80 लाख रुपये साल का यूजर चार्जेज आता है। प्रबंधन चिंता में है कि ढाई करोड़ का भुगतान कैसे करे। यदि 80 लाख रुपये दे भी दें तो भी 1.70 करोड़ रुपये बकाया रह जाएगा। वहीं अस्पताल का गल्ला खाली हो जाएगा। अनुमान के मुताबिक यदि दो लाख रुपये हर माह जोड़े जाएं तो भी पावरकाम का ढाई करोड़ का बिजली बिल अदा करने में दस साल का वक्त लग जाएगा। इस अवधि में ढाई करोड़ रुपये पर लगातार 18 फीसद जुर्माना भी पावरकाम लगाता रहेगा। ऐसे में बिल उतारने में अस्पताल प्रबंधन सालों तक कर्जाई होता जाएगा।

सिविल अस्पताल अमृतसर को प्रति माह यूजर चार्जेज की मद में दस से ग्यारह लाख रुपये प्राप्त होते हैं। इससे अस्पताल प्रशासन कच्चे कर्मचारियों का वेतन जारी करता है। इनमें सफाई सेवक भी हैं। इसी प्रकार कंप्यूटर आपरेटर्स को भी अस्थायी तौर पर रखा गया है। इनका वेतन ही साढ़े छह लाख रुपये जाता है। यदि किसी चिकित्सा उपकरण में तकनीकी खराबी आ जाए तो उसे ठीक करवाने में खर्च होने वाली राशि भी यूजर चार्जेज से ही अदा की जाती है। उदाहरण के तौर पर अस्पताल में एक्सरे मशीन खराब है। इसे ठीक करवाने का खर्च ही पांच लाख रुपये बताया गया है। यह खर्च पूरे होने के बाद अस्पताल प्रशासन के पास डेढ़ से दो लाख रुपये बचते हैं। यह राशि जमा रखी जाती है, ताकि जरूरत पड़ने पर प्रयोग में लाई जा सके। अस्पताल प्रशासन ने इन सभी खर्चों का विवरण डिप्टी मेडिकल कमिश्नर डा. गुरमीत कौर को भेज दिया है। अब जो अस्सी लाख रुपये अस्पताल प्रशासन के पास जमा है, वह प्रतिमाह डेढ़ से दो लाख रुपये बचाकर सुरक्षित किया गया है। अनुमान के मुताबिक यदि डेढ़ या दो लाख रुपये प्रतिमाह जोड़े जाएं तो भी पावरकाम का ढाई करोड़ का बिजली बिल अदा करने में दस साल का वक्त लग जाएगा। इस अवधि में ढाई करोड़ रुपये पर लगातार 18 फीसद जुर्माना भी पावरकाम लगाता रहेगा। सिविल सर्जन डा. चरणजीत सिंह का कहना है कि पावरकाम का बिल बहुत ज्यादा है। ऊपर से आदेश आया है तो इसका पालन करने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं है।

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