सावधान, कमजोर रिगो ब्रिज पर भारी वाहनों की नो एंट्री, संभल करे जाएं

शहर का सबसे पुराना रिगो ब्रिज 66 साल पहले अपनी अवधि पूरी कर चुका है। यह पुल पुराने शहर के हिस्से को नए शहर से जोड़ता है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 05 Jul 2021 08:30 AM (IST) Updated:Mon, 05 Jul 2021 08:30 AM (IST)
सावधान, कमजोर रिगो ब्रिज पर भारी वाहनों की नो एंट्री, संभल करे जाएं
सावधान, कमजोर रिगो ब्रिज पर भारी वाहनों की नो एंट्री, संभल करे जाएं

हरीश शर्मा, अमृतसर: शहर का सबसे पुराना रिगो ब्रिज 66 साल पहले अपनी अवधि पूरी कर चुका है। यह पुल पुराने शहर के हिस्से को नए शहर से जोड़ता है। इस पुल से गुजरना अब खतरे से खाली नहीं है। क्योंकि यहां से भारी वाहनों का बोझ कम करने के लिए प्रशासन ने इसके दोनों तरफ लोहे के गार्डर लगा दिए हैं ताकि हैवी व्हीकल इसके ऊपर से न गुजर सकें। अब कोई भी ट्राली, बस, ट्रक या अन्य भारी वाहन यहां से जा नहीं सकेगा। हालांकि यहां से कार और दोपहिया वाहन गुजर सकेंगे। मगर लोगों को जरा संभलकर जाना होगा।

यह पुल एक तरफ से पूरी तरह बैठ चुका है। ग्रिलें टूटकर गिर चुकी हैं और बारिश होने पर इसके नीचे से सीमेंट, मिट्टी व अन्य मटीरियल धीरे-धीरे बहकर निकल रहा है। इससे पुल लगातार कमजोर हो रहा है। मगर हर बार ही इस पर लेप लगाकर या फिर अन्य तरीकों से सहारा देकर मरम्मत कर दी जाती है। इस पुल को शहर की दूसरी लाइफ लाइन भी माना जाता है, क्योंकि शहर के दो मुख्य हिस्सों को जोड़ने का काम करता है। इसके बावजूद रेल मंत्रालय और पंजाब सरकार इस तरफ ध्यान देने को तैयार नहीं है।

इससे पहले भी इस पुल पर बड़े वाहनों को रोकने के लिए कई बार बड़े-बड़े पत्थर रखे गए। मगर बाद में इसे कोई न कोई हटा देता था। दूसरी तरफ लोहे के गार्डर लगने से आम जन बेहद परेशान है, क्योंकि वाहन जब इन गार्डरों के बीच से यहां से गुजरते हैं तो उन्हें अपनी गति धीमी करनी पड़ती है और वहां पर ट्रैफिक अधिक होने से जाम लगने लगा है। भीषण गर्मी में जाम में खड़े लोग प्रशासन को कोसते हैं। यहां से होकर लोग इस्लामाबाद, लाहौरी गेट, लोहगढ़, बेरीगेट समेत कई इलाकों को जाते हैं। अगर इस पुल को बंद कर दिया जाता है तो लोगों को भंडारी पुल से करीब दो किलोमीटर होकर आना पड़ेगा। ब्रिटिश सरकार ने 1905 में तैयार करवाया था यह पुल

ब्रिटिश सरकार ने इस पुल को 1905 में तैयार किया था। उस समय पुल की अवधि 50 साल तय की गई थी। 1955 में इस पुल को तोड़कर दोबारा बनाने की योजना थी। मगर ऐसा नहीं हुआ। ब्रिटिश साम्राज्य खत्म हो गया और इसके बाद पुल इसी तरह चलता रहा। 1980 में केंद्र सरकार ने पुल के लिए पांच लाख रुपये ग्रांट जारी की थी। इससे पुल के दोनों साइड पर लोहे की मजबूत चादरें लगा दी गई थी ताकि पुल को मजबूत सपोर्ट मिल सके। 1980 से अब तक इस पुल पर गुजरने वाला ट्रैफिक करीब 200 गुणा बढ़ चुका है। 75 करोड़ रुपये में बनेगा नया पुल, प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ाया जा रहा

इस पुल को अगर तोड़कर नया बनाया जाता है तो इस पर करीब 75 करोड़ रुपये की लागत आने की संभावना है। इसका सर्वे नगर सुधार ट्रस्ट और पीडब्ल्यूडी विभाग कर चुका है। मगर यह सब कुछ अभी तक सर्वे तक ही सीमित है, क्योंकि इस संबंधी प्रस्ताव को आगे बढ़ाया ही नहीं जा रहा। नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन दिनेश बस्सी ने कहा कि रिगो ब्रिज का काम अब उनके विभाग की ओर से नहीं किया जाना है। बल्कि स्मार्ट सिटी की ओर से किया जाना है। स्मार्ट सिटी के प्रबंधकों का कहना है कि इस पुल संबंधी उनके पास कोई भी प्रस्ताव नहीं है।

chat bot
आपका साथी