चहेते को फायदा देने के लिए नियमों के विरुद्ध दिया जा रहा था रेहड़ी-फड़ी का ठेका, जग्गी ने कर दिया था रद
नगर निगम के तत्कालीन कमिश्नर एमएस जग्गी केवल पांच महीने में ही नेताओं और अपने निचले स्टाफ की आंखों में चुभना शुरू हो गए थे।
हरीश शर्मा, अमृतसर: नगर निगम के तत्कालीन कमिश्नर एमएस जग्गी केवल पांच महीने में ही नेताओं और अपने निचले स्टाफ की आंखों में चुभना शुरू हो गए थे, क्योंकि जग्गी ने इसी समय के दौरान कई ऐसे टेंडर रद कर दिए थे जो नियमों को दरकिनार कर चहेतों को फायदा दिलवाने के लिए लगाए गए थे। ऐसे में जग्गी गलत काम करने की मंजूरी नहीं दे रहे थे। इसकी एक ताजा उदाहरण है कि एमएस जग्गी के आने से पहले शहर की रेहड़ी-फड़ी को शिफ्ट करने और उनसे वसूली करने के लिए स्ट्रीट वेंडिंग जोन के टेंडर लगाए गए थे, मगर इसमें स्ट्रीट वेंडिग एक्ट-2014 और स्ट्रीट वेंडिग पालिसी 2015 को दरकिनार कर दिया गया था। किसी चहेते को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर लगाया गया था। इसकी गंभीरता से पड़ताल करने के बाद एमएस जग्गी ने टेंडर रद कर दिया था। साथ ही एस्टेट विभाग को कड़े आदेश जारी किए थे कि वह अपना काम जिम्मेदारी से निभाए।
दरअसल, नगर निगम हाउस की मीटिग छह सितंबर 2019 को प्रस्ताव नंबर 18 पास किया गया था। इसमें उत्तरी जोन में हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए निगम की ओर से आउटसोर्स के जरिए स्ट्रीट वेंडिग स्टीम लाइन का ठेका देने के लिए टेंडर लगाया गया था। प्रस्ताव के मुताबिक जिसे भी ठेका मिलेगा वह नाजायज कब्जों को हटाकर जब्त किए सामान को निगम के अहाते में जमा करवाएंगे और कब्जे में लिए गए सामान की बोली होगी। रेहड़ी-फड़ी व स्ट्रीट वेडिग पालिसी व योजना के मुताबिक निर्धारित जगहों से शिफ्ट के बाद वसूल की गई रकम को निगम के खाते में जमा करवाया जाएगा। नो-पार्किंग में खड़े वाहन को टो करके जुर्माना वसूला जाएगा। इन सारे कामों के लिए संबंधित कंपनी अपना खर्च चलाकर निगम के साथ रेवेन्यू शेयर करेगी। इसके लिए आउटसोर्स कंपनी को कोई अलग से फंड नहीं दिया जाएगा। रिपोर्ट में लिखा: रेहड़ियां शिफ्ट करने के लिए एक्ट व पालिसी का पालन नहीं किया
तत्कालीन नगर निगम कमिश्नर एमएस जग्गी ने 12 नवंबर 2021 को अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि आउटसोर्स के लिए जो रिक्वेस्ट फार प्रपोजल (आरएफपी) तैयार की गई है, उसमें कहीं भी वेंडिग की मेंटेनेंस के बारे जिक्र नहीं किया गया। जो भी पैसा इक्ठ्ठा होगा, उसे अलग खाता खुलवाकर जमा करवाने संबंधी बात नहीं है। ऐसे में रेवेन्यू शेयरिग कैसे होगी। पालिसी के मुताबिक केवल शहर में 37 जगहों पर ही रेहड़ियां शिफ्ट की जा सकती हैं। उसका भी कहीं पर जिक्र नहीं है। इसी तरह एस्टीमेट तैयार कर किसी के भी साइन नहीं है। कहीं भी जिक्र नहीं है कि ठेकेदार कितनी फीस वसूल करेगा। एस्टीमेट बनाते समय 600 वेंडर की संख्या का क्या आधार है, अगर वेंडर की संख्या बढ़ती है तो ऐसे में रेवेन्यू के लिए क्या पालिसी अप्लाई होगी। ऐसे में स्ट्रीट वेंडिग एक्ट 2014 और स्ट्रीट वेंडिग पालिसी 2015 का पालन नहीं किया गया। इससे जाहिर होता है कि इस ठेके के जरिए किसी निजी व्यक्ति को मर्जी के साथ जितनी चाहे वसूली करने कीछूट दी जा रही है। यह पूरी तरह गलत है। इस कारण यह टेंडर रद किया जाता है।