पीपीई किट में पसीने से भीग जातीं पर हिम्मत नहीं हारी: बलजिंदर कौर

मैं दस साल से नर्सिग स्टाफ के रूप में काम कर रही हूं। कोरोना काल में काम का अत्यधिक दबाव बना रहा है। प्रतिदिन बारह घंटे कोरोना मरीजों के बीच रहकर काम करना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 May 2021 03:00 AM (IST) Updated:Wed, 12 May 2021 03:00 AM (IST)
पीपीई किट में पसीने से भीग जातीं पर हिम्मत नहीं हारी: बलजिंदर कौर
पीपीई किट में पसीने से भीग जातीं पर हिम्मत नहीं हारी: बलजिंदर कौर

जासं, अमृतसर: मैं दस साल से नर्सिग स्टाफ के रूप में काम कर रही हूं। कोरोना काल में काम का अत्यधिक दबाव बना रहा है। प्रतिदिन बारह घंटे कोरोना मरीजों के बीच रहकर काम करना बेहद चुनौतीपूर्ण रहा है। इस अवधि में पीपीई किट्स पहनकर रखना भी बेहद जटिल है। भीषण गर्मी में पीपीई किट पसीने से भीग जाती, पर मेरे सहित सभी नर्सिग स्टाफ ने हिम्मत नहीं हारी। सभी खुद को सुरक्षित रखते हुए मरीजों को सुरक्षित करने में जुटे रहे हैं। परिवार में पति, बेटा, बेटी व सास-ससुर हैं। चूंकि मैं पूरा दिन संक्रमण के बीच घिरी रहती हूं। परिवार को संक्रमण से बचाने के लिए काफी एहतियात बरतने पड़ते हैं। कोरोना महामारी के दौरान मैं कई कइ दिन बच्चों से दूर रही। कहना यही है कि लोग नासमझी का प्रमाण न दें। यह वायरस खतरनाक है, इसलिए मास्क पहनें, शारीरिक दूरी बनाए रखें और सैनिटाइजर का प्रयोग लगातार करते रहें। - बलजिदर कौर स्टाफ नर्स, जीएनडीएच शुरू से थी इच्छा मरीजों की सेवा करूं: नरिंदर

मेरी शुरू से ही इच्छा थी कि स्वास्थ्य सेवाओं में आकर मरीजों की सेवा करूं। फ्लोरेंस नाइटिंगेल के सेवा समर्पण भाव से मैं शुरू से ही काफी प्रभावित रही। कोरोना वायरस का नर्सिग सिस्टर्स ने लगातार सामना किया है। हमारी कुछ नर्से कोरोना संक्रमित भी हुई, पर 14 दिन होम आइसोलेट होने के बाद कोरोना को मात देकर दोबारा काम पर लौट आई। गुरुनानक देव अस्पताल में अति गंभीर कोरोना मरीज दाखिल हैं। इनके परिवार वाले भी इनके पास जाने से कतराते हैं, लेकिन नर्सिग सिस्टर्स इनकी सेहत की लगातार निगरानी करती है। मैंने बढ़ती आयु के बावजूद कोरोना संक्रमितों के बीच रहकर उनकी सेवा की है। यह मेरा धर्म भी है और लक्ष्य भी। कोरोना वायरस लगातार बढ़ रहा है। अस्पतालों में मरीजों की संख्या में भी वृद्धि हो रही है। ऐसे में सभी से यह अपील है कि वे सुरक्षित रहें।

-नरिदर बुट्टर, स्टाफ नर्स, जीएनडीएच

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