एडवाइजर के सामने रखी समस्या, सिविल में डाक्टर नहीं, कैसे करें मरीजों का इलाज

जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल अस्पताल में स्पेशलिस्ट डाक्टरों की कमी का मुद्दा सेहत विभाग की एडवाइजर के समक्ष रखा गया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 13 Jun 2021 03:00 AM (IST) Updated:Sun, 13 Jun 2021 03:00 AM (IST)
एडवाइजर के सामने रखी समस्या, सिविल में डाक्टर नहीं, कैसे करें मरीजों का इलाज
एडवाइजर के सामने रखी समस्या, सिविल में डाक्टर नहीं, कैसे करें मरीजों का इलाज

जासं, अमृतसर: जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल अस्पताल में स्पेशलिस्ट डाक्टरों की कमी का मुद्दा शनिवार को स्वास्थ्य विभाग की एडवाइजर डा. प्रभदीप कौर जौहल के समक्ष उठाया गया। अस्पताल प्रशासन ने कहा कि एनेस्थीसिया, आर्थो, स्किन, रेडियोलाजी विभाग व स्किन विभाग में स्पेशलिस्ट डाक्टर नहीं। ये विभाग काफी समय से बंद हैं। ऐसे में मरीजों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। दूरदराज से आए मरीज किराया खर्च कर यहां आते हैं और निराश होकर लौट जाते हैं।

डा. जौहल शनिवार को सिविल अस्पताल में कोविड अपडेट मीटिग में शामिल हुई थीं। इसमें जिले के सात ब्लाकों के सीनियर मेडिकल आफिसर व प्रोग्राम आफिसर शामिल हुए। इंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन स्वास्थ्य विभाग के चेयरमैन राकेश शर्मा ने डाक्टरों की कमी का मामला उनके समक्ष रखा और कहा कि अस्पताल खाली हो गया है। कोरोना काल में सिविल अस्पताल में ओपीडी सेवाएं जारी रहीं, पर डाक्टरों की कमी आड़े आती रही। इसी सप्ताह सिविल अस्पताल पहुंचे स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर डा. जीबी सिंह के समक्ष भी डाक्टरों की कमी का मामला रखा था।

डा. जौहल ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग डाक्टरों की कमी दूर करने का प्रयास कर रहा है। वाक इन इंटरव्यू की गई हैं। हालांकि ज्यादातर डाक्टर इंटरव्यू के बाद विभाग में ज्वाइन नहीं कर रहे। हो सकता है कि डाक्टरों को वेतन कम लग रहा हो। सरकार वेतन बढ़ाने की दिशा में सोच रही है। सिविल सर्जन डा. चरणजीत सिंह ने कहा कि स्पेशलिस्ट डाक्टर ज्वाइन नहीं कर रहे। हाल ही में सरकार ने 400 डाक्टरों को बुलाया। इनमें से सिर्फ 18 ने ही ज्वाइन किया। सरकार की हाईलेवल कमेटी इसका समाधान ढूंढ रही है। इस असर पर जिला महामारी अधिकारी डा. मदन मोहन, सहायक सिविल सर्जन डा. अमरजीत सिंह, एसएमओ डा. चंद्रमोहन, असिस्टेंट फूड कमिश्नर डा. राजिदर सिंह आदि उपस्थित थे। दैनिक जागरण ने उठाया था यह मुद्दा

दैनिक जागरण ने 12 जून के अंक में सिविल अस्पताल में डाक्टरों की कमी का मुद्दा प्रमुखता से प्रकाशित किया था। इसके बाद 12 जून को ही स्वास्थ्य विभाग की एडवाजर बैठक करने पहुंची तो उनके समक्ष अस्पताल प्रबंधन ने यह मामला उठाया। डा. अरुण शर्मा के बेटे को नहीं मिली नौकरी

चेयरमैन राकेश शर्मा ने कहा कि पंजाब सरकार ने सिविल अस्पताल के पूर्व एसएमओ डा. अरुण शर्मा की कोरोना से मौत के बाद उनके बेटे को आज तक नौकरी प्रदान नहीं की गई। डा. अरुण का बेटा डाक्टरी की पढ़ाई पूरी कर चुका है। वह छह पत्र लिख चुके हैं, पर कुछ नहीं हुआ। कोरोना समाप्त होने में वक्त लगेगा, लोग वैक्सीन लगवाएं

डा. जौहल ने कहा कि कोरोना अभी समाप्त होने वाला नहीं है। संभव है कि अभी काफी वक्त लग जाएगा। जरूरत है कि अधिकाधिक लोग वैक्सीन लगवाएं। इसके लिए लोगों के मन से वैक्सीनेशन के प्रति बन चुकी गलत धारणा को समाप्त करना होगा। अमृतसर में कोरोना संक्रमण दर में कमी आई है। रिकवरी रेट 93 फीसद हो चुका है। लोग संयम से काम लें। कोविड नियमों का पालन करें, तो हम इस वायरस से बच सकते हैं। डा. जौहल ने सभी एसएमओ से कहा कि वह अन्य स्वास्थ्य सेवाओं को भी निरंतर जारी रखें। इसके अतिरिक्त डब्लयूएचओ के अधिकारियों से भी बैठक हो चुकी है। इसमें लोगों को वैक्सीनेशन के लिए कैसे प्रेरित किया जाए, इस पर मंथन हुआ है।

chat bot
आपका साथी