सिविल अस्पताल में बिना बताए महिला की नलबंदी करने का आरोप

। जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल अस्पताल में एक गर्भवती महिला की डिलीवरी के बाद उसे बताए बिना ही नसबंदी कर दी गई।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 07:05 PM (IST) Updated:Fri, 30 Oct 2020 02:28 AM (IST)
सिविल अस्पताल में बिना बताए  महिला की नलबंदी करने का आरोप
सिविल अस्पताल में बिना बताए महिला की नलबंदी करने का आरोप

जागरण संवाददाता, अमृतसर

जलियांवाला बाग मेमोरियल सिविल अस्पताल में एक गर्भवती महिला की डिलीवरी के बाद उसे बताए बिना ही नलबंदी कर दी गई। स्वजनों ने जब हंगामा किया तो स्टाफ मानने को तैयार नहीं हुआ, लेकिन कुछ देर बाद गुपचुप ढंग से नलबंदी री-चैनालाइज यानी खोल दी गई। यह आरोप महिला के स्वजनों ने लगाए हैं।

दरअसल, न्यू अमृतसर निवासी आरती नामक 26 वर्षीय महिला को गर्भावस्था के नौ माह पूर्ण होने के बाद बीते बुधवार को सिविल अस्पताल स्थित गायनी वार्ड में लाया गया। यहां वीरवार को माइनर आपरेशन के जरिए उसकी डिलीवरी कर दी गई। आरती के देवर रंजीत कुमार के अनुसार डिलीवरी के बाद आरती ने बेटी को जन्म दिया। जन्म से ही बेटी अस्वस्थ थी। स्टाफ ने उसे बच्चा वार्ड में ट्रीटमेंट देने के बजाय डेढ़ घंटा तक देखा नहीं। आरती ने हमें बताया कि उसकी नलबंदी भी कर दी गई है। जब मैंने इस संबंध में डाक्टर व एएनएम से बात की तो वह बोली हमने नलबंदी नहीं की। अगर की भी है तो क्या हुआ, आरती के पूर्व में दो बच्चे हैं और अब तीसरी बेटी हुई है। दस-दस बच्चे थोड़े न पैदा करोगे। रंजीत के अनुसार यह कहकर स्टाफ ने मुझे बुरी तरह जलील किया। इधर, नवजात बच्ची की हालत लगातार बिगड़ती गई। मैं उसे मजीठा रोड स्थित गुरु नानक देव अस्पताल में लेकर पहुंचा और बच्चा वार्ड में दाखिल करवा दिया।

इसके बाद पुन: सिविल अस्पताल आया। मेरे आने से पूर्व गायनी वार्ड के स्टाफ ने आरती की नलबंदी खोल दी थी। डिलीवरी के बाद जो टांके लगाए थे वह भी काट दिए गए थे। उसे अत्यधिक रक्तस्त्राव हो रहा था और दर्द से तड़प रही थी। मामले की जानकारी पाकर सिविल अस्पताल पहुंचे उत्तर प्रदेश कल्याण परिषद के प्रवक्ता रामभवन गोस्वामी ने भी डाक्टरों से बात की, पर उचित जवाब नहीं मिला। रामभवन गोस्वामी ने कहा कि अब हम आरती का अल्ट्रासाउंड करवाकर यह पता लगाएंगे कि डाक्टरों ने उसकी नलबंदी की थी या नहीं। वैसे डाक्टरों ने आरती के टांके काट दिए थे। इससे साफ है कि नलबंदी को री-चैनालाइज किया गया है। इस मामले की अस्पताल प्रशासन जांच करे और संबंधित डाक्टर व एएनएम पर सख्त एक्शन लिया जाए। मर्जी के बगैर नहीं की जा सकती नलबंदी : एसएमओ सिविल अस्पताल के एसएमओ डा. चरणजीत सिंह का कहना है कि डिलीवरी के पश्चात महिला की इजाजत के बगैर नलबंदी नहीं की जा सकती। महिला व उसके स्वजनों की बाकायदा काउंसलिग की जाती है और फाइल तैयार करके नलबंदी की प्रक्रिया पूरी की जाती है। वैसे उन्होंने गायनी डाक्टर से बात की है। उसके अनुसार महिला की नार्मल डिलीवरी हुई थी। ऐसे में नलबंदी का सवाल नहीं उठता। फिर भी शिकायतकर्ता मुझे लिखकर दें, मैं बोर्ड बनाकर मामले की जांच करवाऊंगा।

chat bot
आपका साथी