किताबों व स्टेशनरी का कारोबार मंदी में, शिक्षण संस्थान खोलने की गुहार

महानगर की सबसे बड़ी मार्केट हाल बाजार में रोजाना करोड़ों रुपये का कारोबार होता था।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 12:00 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 12:00 PM (IST)
किताबों व स्टेशनरी का कारोबार मंदी में, शिक्षण संस्थान खोलने की गुहार
किताबों व स्टेशनरी का कारोबार मंदी में, शिक्षण संस्थान खोलने की गुहार

कमल कोहली, अमनदीप सिंह, अमृतसर : महानगर की सबसे बड़ी मार्केट हाल बाजार में रोजाना करोड़ों रुपये का कारोबार होता था। अब यह मार्केट कोविड-19 की महामारी के कारण मंदी के दौर में गुजर रही है। बाजार में ग्राहकों की कमी है, इस बाजार में हर तरह का सामान बिकता है। इसी बाजार में किताबों की भी दुकानें हैं, जिसका कारोबार शैक्षणिक संस्थानों पर ही चलता है। किताबों व स्टेशनरी की दुकानों में इस समय मंदी का दौर चल रहा है। कारोबार सिर्फ 20 से 25 प्रतिशत रह गया है, दुकानदार अब खर्चे निकालने में भी असमर्थ होते जा रहे हैं। दुकानदारों का कहना है, कि सबसे बड़ी मार किताबों व स्टेशनरी की दुकानों पर पड़ी है जिनका कारोबार पिछले दो वर्ष से ठप है। सरकार की ओर से भी उनको कोई मदद नहीं मिली है। स्कूल कालेज बंद होने के कारण दुकानों पर ग्राहक बिल्कुल नहीं है। दुकान खोलना मजबूरी है। सारे दिन में दो-तीन ग्राहक ही आते हैं। इससे दुकान के खर्चे निकालना भी मुश्किल है। सरकार को ऐसी रणनीति बनानी चाहिए, जिससे शैक्षणिक संस्थान खुलें और कारोबार चले।

- रजिदर गांधी, दुकानदार कापियों व किताबों की दुकानों को किसी तरह की कोई रिलीफ नहीं मिली है। यह कार्य काफी प्रभावित हुआ है। इससे जुड़े सभी ट्रेड इस समय प्रभावित है जिनके खर्चे निकालना भी मुश्किल है। दुकान पर लगे कर्मचारियों की तनख्वाह देना भी मुश्किल है। सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।

-मनीष लखन पाल, दुकानदार शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हर तरह के दुकानदार इस समय मंदी के दौर में हैं। दुकान के खर्च तक निकालना मुश्किल हो गया है। सरकार को स्कूल खोलने की रणनीति बनानी चाहिए, चाहे पहले बड़ी क्लासों को ही खोले। टेक्निकल कालेज भी खुलने चाहिए, ताकि ग्राहक आ सकें।

- संदीप अहूजा, दुकानदार महामारी के कारण स्टेशनरी व किताबों का काम 22 प्रतिशत रह गया है। इससे खर्च नहीं निकल पा रहे। सरकार को ऐसी रणनीति बनानी चाहिए, जिससे स्कूलों में विद्यार्थी कोविड के नियमों के अनुसार शिक्षा ग्रहण कर सकें। उनका कारोबार स्कूल खुलने के साथ ही जुड़ा है।

- बलविदर सिंह, दुकानदार सभी दुकानदार महामारी की चपेट में है। समस्या गंभीर है, खर्च नहीं निकल रहे। बसों में ट्रैवलिग करने वाले की भीड़ लगी हुई है। सभी धार्मिक अस्थान में भीड़ है, लेकिन स्कूल-कालेज बंद हैं। सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए ताकि हम जीविका कमा सके।

-संदीप दीवान, दुकानदार सरकार ने कोविड के कारण जूझ रहे दुकानदारों को अब तक कोई राहत नहीं दी है। दुकानदार मंदी के दौर पर चल रहे हैं। सरकार को ऐसी रणनीति बनानी चाहिए जिससे दुकानदारों को कुछ राहत मिल सके।

- विकास महाजन, दुकानदार मोबाइल एप के कारण भी किताबों व स्टेशनरी का कार्य प्रभावित हुआ है। आनलाइन पढ़ाई होने से बच्चे किताबें खरीदने में रुचि नहीं दिखा रहे हैं। इस कारण कारोबार मंदी के दौर में फंसा हुआ है। पिछले डेढ़ वर्ष से हालात ऐसे ही हैं। सरकार की ओर से भी कोई सुविधा नहीं दी गई।

-विशाल महाजन, दुकानदार दुकानदारों को काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। जीविका कमाना भी मुश्किल होता जा रहा है। घर के खर्चे निकलना भी मुश्किल हो रहे हैं। सभी तरह के टैक्स दुकानों के किराए देने पड़ रहे हैं। समस्या गंभीर है, सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।

-निरंकार सिंह, दुकानदार परेशानी सबके लिए है। जब तक स्कूल कालेज नहीं खुलते तब तक हालात ऐसे ही रहेंगे। सबसे ज्यादा कार्य उनका प्रभावित हुआ है। सरकार को ऐसे नियम बनाने चाहिए जिससे शिक्षण संस्थान भी खुल सकें और उनका कारोबार भी पटरी पर आ सके।

- संजय महाजन, दुकानदार इस समय महामारी के कारण मंदी के दौर में हैं। कर्मचारियों को वेतन देना पड़ता है खर्चे निकलना मुश्किल है। एजुकेशन से जुड़े अदारे जब तक नहीं खुलते, हालात ऐसे ही रहने की संभावना है। सरकार को नियम के तहत स्कूल खोलने चाहिए।

-सुरेंद्र शर्मा, दुकानदार

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