1965, 1971 की विजय और कारगिल जीत की गाथा पाठ्यक्रम में शामिल हो : प्रो. चावला

पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांता चावला ने केंद्र सरकार से अपील की है कि पूरे देश के विद्यार्थियों को 1965 1971 की विजय और कारगिल जीत की गाथा पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाए।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 07:15 PM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 07:15 PM (IST)
1965, 1971 की विजय और कारगिल जीत की गाथा पाठ्यक्रम में शामिल हो : प्रो. चावला
1965, 1971 की विजय और कारगिल जीत की गाथा पाठ्यक्रम में शामिल हो : प्रो. चावला

संवाद सहयोगी, अमृतसर : पूर्व मंत्री लक्ष्मीकांता चावला ने केंद्र सरकार से अपील की है कि पूरे देश के विद्यार्थियों को 1965, 1971 की विजय और कारगिल जीत की गाथा पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाए। कारगिल विजय दिवस के अवसर पर उन्होंने रक्षा मंत्री व देशवासियों को बधाई भी दी। इसके साथ ही उन्होंने रक्षा मंत्री से आग्रह किया कि कारगिल के द्रास क्षेत्र में जहां अनुपम वीरता और कुर्बानी के साथ विजय पाई उस क्षेत्र को स्वतंत्र भारत का तीर्थ स्थान बनाकर पूरे देशवासियों को यह प्रेरणा दी जाए कि सभी भारतवासी विशेषकर युवा और विद्यार्थी द्रास में जाकर उन पहाड़ियों को देखें जहां शहीदों ने अपने खून से सींचकर तिरंगा फहराया था। टाइगर हिल जैसी दुर्गम पहाड़ी पर विजय पाकर भारत के दुश्मनों को मुंह तोड़ जवाब दिया था। उन्होंने आग्रह किया कि पूरे देश के विद्यार्थियों को 1965, 1971 की विजय और कारगिल जीत की गाथा पाठ्यक्रम में पढ़ाई जाए। उनके चित्र हर स्कूल व कालेज में लगाए जाएं और द्रास में ऐसा बढि़या यात्री निवास बनाएं जहां देश से जाने वाले लोग वहां मौसम के अनुसार रहने को स्थान प्राप्त कर सकें। इस समय तो यह हालत है कि द्रास में यात्रियों के ठहरने की कोई सुरक्षित सुविधा नहीं। मौसम से सुरक्षा वहां सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने रक्षा मंत्री से आग्रह भी किया कि 2022 के कारगिल विजय दिवस से पहले द्रास में यात्रियों के लिए सुविधाजनक निवास बना दिए जाएं।

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