आक्रोश बनकर बहने लगे बेबस आंखों के आंसू

जौड़ा फाटक रेल हादसे के 14 माह बाद पीड़ित परिवार दर-दर भटक कर थक चुके हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 11 Dec 2019 12:42 AM (IST) Updated:Wed, 11 Dec 2019 12:42 AM (IST)
आक्रोश बनकर बहने लगे बेबस आंखों के आंसू
आक्रोश बनकर बहने लगे बेबस आंखों के आंसू

जागरण संवाददाता, अमृतसर : जौड़ा फाटक रेल हादसे के 14 माह बाद पीड़ित परिवार दर-दर भटक कर थक चुके हैं। इनकी आंखों में पूर्व में बेबसी भरे आंसू थे, जो अब आक्रोश बनकर टपक रहे हैं। भंडारी पुल पर सोमवार से अनिश्चितकालीन धरना लगाकर बैठे ये परिवार सरकार से इंसाफ की मांग कर रहे हैं। सर्दी में दिन-रात भंडारी पुल पर बैठे पीड़ित परिवारों ने साफ कर दिया है कि वे यहां से तब हटेंगे जब सरकार उन्हें लिखित आश्वासन देगी।

पीड़ित परिवारों ने हाथ में कैंडल उठाकर सरकार के प्रति अपनी नाराजगी जाहिर की। साथ ही चेताया कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होती वे धरना खत्म नहीं करेंगे। ये लोग सर्दी में भी रात को भंडारी पुल पर जमे हुए हैं। इस अवसर पर गौरव डोगरा, जोगिदर सिंह, बलजीत सिंह, अमन कुमार, नंदकिशोर, लाल सिंह, विजय कुमार, स्वर्ण कौर, गोल्डी, दीपक कुमार, अनिल कुमार, विजय कुमार, मुकेश कुमार, राजेश कुमार, संजय कुंदरा, विक्रम नंदा उपस्थित थे।

पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी है भाजपा : हनी

धरनाकारियों के बीच पहुंचे भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता एडवोकेट राजेश हनी ने कहा कि भाजपा इन परिवारों के साथ खड़ी है। ये परिवार आज दर-दर की ठोकरें खाने को विवश हैं। नवजोत सिंह सिद्धू ने इन परिवारों की सुध नहीं ली। उन्होंने तो परिवारों को गोद लेने का भरोसा दिया था, पर कभी इन लोगों से नजरें नहीं मिलाईं। पीड़ित परिवारों ने इस वर्ष दशहरे के दिन जौड़ा फाटक पर धरना लगाया था। तब जिला प्रशासन ने आश्वास्त किया था कि 15 दिनों के भीतर परिवारों को सरकारी नौकरी दी जाएगी। ये लोग विधायक डॉ. राजकुमार से भी मिले, जिन्होंने कहा था कि निगम हाउस में इनकी नौकरी का प्रस्ताव रखा गया है। हनी ने कहा कि सरकार इन लोगों का मजाक बना रही है। नगर निगम के मेयर ने भी इनकी सहायता करने की बात कही, पर कुछ नहीं हुआ।

पति चला गया, परिवार को रोटी खिलाने में असमर्थ हूं : अमन

धरने पर बैठी अमन के हाथ में कैंडल थी और आंखों में आंसू। वह कहती है उसका पति विकास कुमार 32 साल की आयु में ही हादसे का शिकार बनकर मौत की आगोश में चला गया। सरकार ने सरकारी नौकरी देने की बात कही, पर 14 महीने बीतने के बाद भी कुछ नहीं मिला। परिवार को रोटी खिलाने में असमर्थ हूं।

नौकरी भी चाहिए और कसूरवारों पर कार्रवाई भी : दीपक

पीड़ित परिवार के बेटे दीपक कुमार ने कहा कि हमें नौकरी तो चाहिए ही, साथ ही इस हादसे के कसूरवारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की भी मांग पूरी की जाए। सरकार ने जांच रिपोर्ट तैयार की, पर इसे सार्वजनिक नहीं किया। क्या 59 बेकसूरों की मौत का कसूरवार कोई नहीं। यदि है तो सरकार उसे जनता के सामने पेश करे और अदालत उसे सख्त से सख्त सजा दे।

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