अटारी बॉर्डर पर दिखेगा शानदार नजारा, दुश्‍मन नहीं छिपा सकेगा अपनी कारगुजारी

भारत-पाकिस्‍तान सीमा पर अटारी में रिट्रीट सेरेमनी देखने के लिए नई दर्शक दीर्घा खुल गई है। इस नई गैलरी से अद्भूत नजारा दिखेगा। लोग पाकिस्‍तान वाले हिस्‍से को भी साफ देख सकेंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 23 Jan 2019 01:00 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jan 2019 02:01 PM (IST)
अटारी बॉर्डर पर दिखेगा शानदार नजारा, दुश्‍मन नहीं छिपा सकेगा अपनी कारगुजारी
अटारी बॉर्डर पर दिखेगा शानदार नजारा, दुश्‍मन नहीं छिपा सकेगा अपनी कारगुजारी

अटारी (अमृतसर), जेएनएन। यहां भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर अब बेहद शानदार नजारा दिखेगा। अटारी चेकपोस्ट पर होने वाली रिट्रीट सेरेमनी का दृश्‍य अब पहले से कहीं ज्यादा शानदार होगा। यहां से पाकिस्तान की वाघा पोस्ट का नजारा और भी साफ दिखेगा।  केंद्रीय गृह मंत्री ने को अटारी चेकपोस्ट पर नई दर्शक दीर्घा  का उद्घाटन किया। इस गैलरी से पाकिस्‍तान के अंदर का नजारा साफ दिखेगा और इससे दुश्‍मन अपनी कारगुजारी आसानी से छिपा नहीं सकेगा।

छह गुना बढ़ गई अटारी दर्शक दीर्घा की क्षमता, रिट्रीट सेरेमनी देखना होगा और आसान

नया दर्शक दीर्घा शुरू हो जाने से यहां अब काफी संख्‍या में लोग रिट्रीट सेरेमनी का आनंद ले सकंगे। यहां अब दर्शकों के बैठने की क्षमता छह गुना बढ़ गई है। पहले मात्र पांच हजार दर्शन ही बैठ सकते थे और अब 30 हजार लोग यहां बैठ सकेंगे। लोग बीएसएफ और पाक रेंजर्स की संयुक्त परेड के साथ-साथ पाकिस्तान का भी नजारा देख पाएंगे।


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ये है खासियत
-25 करोड़ की लागत से तैयार हुई है नई दर्शक दीर्घा।
-22 मार्च 2015 को राजनाथ सिंह ने ही किया था शिलान्यास
-पांच हजार दर्शक ही बैठ सकते थे पहले
-30 हजार दर्शक देख सकेंगे अब रिट्रीट सेरेमनी
-ए, बी, सी, डी, और ई नाम से पांच ब्लॉक बनाए गए हैं यहां।
-आठ हजार दर्शकों की क्षमता बढ़ी गेट के दाईं और बाईं तरफ
-दो नई दर्शक दीर्घाएं वीवीआइपी सैलानियों के लिए है।
-24 मीटर ऊंची व 32 मीटर चौड़ी है नई दर्शक दीर्घा।
-दो मंजिला हो गई है दर्शक दीर्घा, पहले सिंगल स्टोरी थी


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360 फुट ऊंचा तिरंगा
अटारी सीमा पर 360 फुट ऊंचा तिरंगा भी स्थापित किया गया है। यह देश में सबसे ऊंचा है और लाइन ऑफ कंट्रोल से 200 मीटर की दूरी पर है। 55 टन के पोल पर फहराए गए इस 120 गुना 80 फुट के तिरंगे का वजन 100 किलो है।
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1958 में बनाई गई थी पुलिस चौकी
भारत-पाक विभाजन के बाद 1958 में यहां एक छोटी-सी पुलिस चौकी स्थापित की गई थी। इससे पहले यहां 1949 में एक छोटा गेट लगाया गया था।


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वाघा और अटारी
आमतौर पर लोग अटारी बॉर्डर और वाघा बॉर्डर के बीच अंतर नहीं कर पाते। वाघा पाकिस्तान की तरफ बसा गांव है। इसलिए पाकिस्तान इसे वाघा बॉर्डर कहता है। वहीं अटारी भारत की तरफ है। इसलिए भारत इसे अटारी बॉर्डर कहता है। कई बाद इसे अटारी-वाघा बॉर्डर भी लिखा जाता है। यह स्थान लाहौर-कोलकाता गै्रंड ट्रंक रोड पर है। अटारी बॉर्डर से लाहौर की दूरी 29 किलोमीटर और अमृतसर की दूरी 27 किलोमीटर है।
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1959 में हुई रिट्रीट की शुरुआत
अटारी बॉर्डर पर रिट्रीट की शुरुआत 1959 में हुई थी। इसका मकसद दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग और सौहार्द का माहौल बनाना है।

रोज उमड़ता है देशभक्ति का सैलाब
यहां रोज शाम को सूर्यास्त से पहले औपचारिक रूप से सीमा को बंद किया जाता है और दोनों देशों के झंडे को सम्मानपूर्वक उतारा जाता है। इस दौरान दोनों देशों के दर्शक नारेबाजी भी करते हैं, जिससे देशभक्ति की भावनाओं का सैलाब उमड़ पड़ता है। दोनों देशों के सैनिक परेड निकालते हैं, जिसमें उनका जोश देखने काबिल होता है। देशभक्ति के गीत बजाए जाते हैं। कुछ सांस्कृतिक कार्यक्रम भी होते हैं। दोनों देशों के झंडों को सम्मानपूर्वक तरीके से उतारने के साथ ही समारोह का अंत होता है।

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राजनाथ सिंह ने देखी रिट्रीट सेरेमनी, जवानों के साथ खिंचवाई तस्वीर

केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने आईसीपी अटारी पर दर्शक दीर्घा का उद्घाटन करने के बाद रिट्रीट सेरेमनी का भी अानंद लिया। उन्‍होंने गैलरी के उद्घाटन से पहले पूजा अर्चना की गई। उन्‍होंने दर्शक दीर्घा के शिलान्यास पट्ट पर तिलक लगाने के बाद इसका उद्घाटन किया। इसके बाद जेसीपी अटारी पर बीएसएफ और पाक रेंजर्स की संयुक्त रिट्रीट सेरेमनी देखी। 

सेरेमनी देखने के बाद वह अपनी कुर्सी से उठ कर सीधा भारत-पाक सीमा जीरो लाइन गेट की तरफ बढ़े। वह रिट्रीट में हिस्सा लेने वाले जवानों और अधिकारियों से एक-एक कर मिले। उनसे हाथ मिलाया और हौसला भी बढ़ाया। उन्होंने इस पूरी टीम के साथ फोटो खिंचवाई और बीएसएफ जवानों को फलों का टोकरा भी भेंट किया। गृहमंत्री द्वारा जवानों के साथ फोटो खिंचवाने के बाद जवान उत्साह से भरे नजर आए। 

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