छह बार के सांसद ने लगाया जीवन का शतक, नवजोत सिंह सिद्धू ने तोड़ा था जीत का सिलसिला

कांग्रेस के वटवृक्ष कहे जाने वाले रघुनंदन लाल भाटिया 100 वर्ष केे हो गए हैं। वह अमृतसर से छह बार सांसद रहे। नवजोत सिंह सिद्धू ने उनकी जीत का सिलसिला तोड़ा था।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sat, 04 Jul 2020 10:01 AM (IST) Updated:Sat, 04 Jul 2020 10:01 AM (IST)
छह बार के सांसद ने लगाया जीवन का शतक, नवजोत सिंह सिद्धू ने तोड़ा था जीत का सिलसिला
छह बार के सांसद ने लगाया जीवन का शतक, नवजोत सिंह सिद्धू ने तोड़ा था जीत का सिलसिला

अमृतसर [विपिन कुमार राणा]। 'कांग्रेस के वटवृक्ष' माने जाते पूर्व विदेश राज्यमंत्री रघुनंदन लाल भाटिया सौ वर्ष के हो गए हैं। उन्होंने गत दिवस अपने निवास पर सादगी से जन्मदिन मनाया। उम्र के इस पड़ाव में भी उनके जज्बे और तेवरों में कोई कमी नहीं आई है। छह बार के सांसद भाटिया की जीत का सिलसिला नवजोत सिंह सिद्धू ने तोड़ा था। सिद्धू भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े थे।

भाटिया को बधाई देने कई नेता पहुंचे। उन्होंने कांग्रेस के सुनहरे लम्हों को ताजा किया और सियासी सीख देने में भी कसर नहीं छोड़ी। सियासत में समय के साथ आए बदलाव पर बेबाक ढंग से उन्होंने कहा, 'अब लोग ओहदों के लालची हो गए हैं, जबकि पहले लोग समर्पित भाव से पार्टी का काम करते थे। नेताओं से मेरी यही अपील है कि वे बिना किसी स्वार्थ के देश की सेवा करें।'

जीत का रिकॉर्ड, लेकिन हैट्रिक से चूके

भाटिया ने संसद में लंबे समय तक गुरुनगरी का प्रतिनिधित्व किया। अपने बड़े भाई दुर्गादास भाटिया के देहांत के बाद 1972 में उन्होंने पहली बार उपचुनाव लड़ा व जीत दर्ज करते हुए बतौर जनप्रतिनिधि अपनी यात्रा शुरू की। उसके बाद वह 1980 व 1984 में सांसद चुने गए। फिर 1991, 1996 व 1999 में भी सांसद बने। खास बात यह रही कि वह एक बार भी हैट्रिक नहीं बना पाए।

भाजपा ने खेला था सेलिब्रिटी कार्ड

भारतीय जनता पार्टी ने 2004 में अमृतसर लोकसभा सीट पर सेलिब्रिटी को उतारते हुए नया प्रयोग किया। भाजपा इसमें कामयाब भी रही। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी ने क्रिकेटर पूर्व नवजोत सिंह सिद्धू को मैदान में उतारा। हालांकि, चुनाव बिल्कुल नजदीक होने की वजह से सिद्धू को बहुत ही कम समय चुनाव प्रचार के लिए मिला, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कांग्रेस से यह सीट छीन ली। 1,09,532 मतों से जीत दर्ज की तो भाटिया ने चुनावी राजनीति को अलविदा कह दिया। अपनी इस हार पर भाटिया कहते हैं कि राजनीति में हार-जीत लगी रहती है। लोकतंत्र में जनता का फैसला हमेशा मंजूर करना चाहिए।

विदेश राज्यमंत्री व दो बार राज्यपाल भी रहे

भाटिया 23 जून, 2004 से 10 जुलाई, 2008 तक केरल के राज्यपाल व 10 जुलाई, 2008 से 28 जून, 2009 तक बिहार के राज्यपाल रहे। इसके अलावा भाटिया पीवी नरसिम्हाराव की सरकार में 1992 में विदेश राज्यमंत्री रहे। पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान के तौर पर उन्होंने 1982 से 1984 तक दायित्व निभाया और 1991 में कांग्रेस कमेटी के महासचिव बने। इतने लंबे सियासी करियर में उन्होंने शहर ही नहीं पंजाब को कई नेता दिए और उनके आशीर्वाद से वह अहम ओहदों तक पहुंचे। सांसद गुरजीत सिंह औजला ने कहा, 'कांग्रेस पार्टी हमेशा भाटिया जी की ऋणी रहेगी, क्योंकि आज बहुत से नेता उनकी बदौलत हैं। उनकी साफ-सुथरी राजनीति का आज भी उदाहरण दिया जाता है।'

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