अमृतसर हमले का आंखों देखा हाल, हवा में उड़ता आया ग्रेनेड आैर फिर मच गई तबाही
अमृतसर के गांव अदलीवाल गांव में हुए निरंकारी भवन में ग्रेनेड हमले में घायल हुए लोगों ने घटना के डरा देनेवाले आंखों देखा हाल सुनाया।
अमृतसर, [नितिन धीमान]। राजासांसी क्षेत्र के गांव अदलीवाल गांव में हुए निरंकारी भवन में ग्रेनेड हमले में घायल हुए और सत्संग के समय वहां मौजूद रहे लोग सारे मंजर को याद कर कांप जाते हैं। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि श्रद्धालु सत्संग में खोए थे और संत वाणी सुन रहे थे कि अचानक एक ग्रेनेड हवा में तैरता हुआ और मंच के पास गिर गया। इसके बाद चारों आेर चीख-पुकार और तबाही मच गई।
ध्यान में मग्न थी संगत, धमाके के बाद तबाही का मंजर, संगत की आंखों के सामने छा गया अंधेरा
प्रत्यक्षदर्शियों पूरी घटना का कुछ यूं ब्योरा दिया- सुबह के 10 बज चुके थे। राजासांसी के गांव अदलीवाल में स्थित निरंकारी भवन में सत्संग करने के लिए संत देसा सिंह मंच पर पहुंचे। वह अपनी वाणी से संगतों को निहाल कर रहे थे। संगत गहरी खामोशी साधकर और आंखें बंद कर संत वाणी श्रवण कर रहे थे। राजासांसी के आसपास स्थित गांवों के लगभग 250 श्रद्धालु ध्यानमग्न होकर समागम में बैठे थे।
तकरीबन एक घंटे बाद अचानक हवा में उड़ता हुआ एक गोला संगत के ऊपर से गुजरा। इसके बाद मंच के सामने फर्श पर बम ब्लास्ट हुआ। शांतिमय माहौल में धमाके की गूंज ने खलबली मचा दी। बम फटने के बाद एक हिस्सा दायीं तरफ उछलकर गिरा तो दूसरा हिस्सा बायीं तरफ। धमाके के बाद आंखों के सामने अंधेरा छा गया।
निरंकारी भवन में हुए ब्लास्ट के प्रत्यक्षदर्शी 18 वर्षीय हरजोत सिंह ने बताया, मैं निरंकारी भवन में सत्संग श्रवण कर रहा था। तभी तीन लोग चेहरा ढककर अंदर दाखिल हुए थे। मुझे जोरदार करंट लगा और एक बम गिरा, मैंने पीछे मुड़कर देखा। एक युवक मुझसे कुछ ही दूरी पर खड़ा था। मैं उसे पकड़ने के लिए अभी उठा ही था कि धमाका हो गया। बम का एक हिस्सा दायीं तरफ व दूसरा बायीं तरफ चला गया। इसके बाद देखते ही देखते निरंकारी भवन खून से सन चुका था। लोग बाहर की ओर भाग रहे थे। वहां बैठे लोग खून से लथपथ हो गए।
ग्रेनेड हमले के बाद खून से सन गया निरंकारी भवन
हरजोत सिंह अपने पिता कुलदीप सिंह, मां रिंपल, बहन अमानत कौर व भाई आशु के साथ सत्संग श्रवण करने पहुंचा था। धमाके से पिता कुलदीप सिंह की छाती पर जांघों पर गहरे जख्म हो गए हैं, वहीं हरजोत सिंह व आशु की टांगों पर चोट लगी है। हरजोत की मां रिंपल व बहन अमानत कौर को चोट नहीं आई। कुलदीप, हरजोत व आशु को गुरुनानक देव अस्पताल में दाखिल करवाया गया है। हरजोत के अनुसार वह इन लोगों को पहचान नहीं सका, क्योंकि इन्होंने अपना चेहरा व सिर कपड़े से ढका था।
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गुरुनानक देव अस्पताल में दाखिल राजासांसी निवासी रजवंत कौर ने बताया, मुझे लगा कि किसी ने बड़ा पत्थर समागम स्थल पर फेंका है। मैं पहली पंक्ति में बैठी थी। एकदम धमाका हुआ। ऐसा लगता किसी ने करंट लगा दिया हो। सभी बाहर की आेर भागे। घटना के कुछ देर बाद जब अफरातफरी मच गई तब मालूम हुआ कि यह आतंकी हमला है। रजवंत के चेहरे और टांगों पर गहरी चोट आई है।
दिमाग सुन्न हो गया
इसी तरह निर्मल कौर ने बताया, धमाके बाद मेरा दिमाग सुन्न हो गया। सिर पर चोट लगी। मैं हर रविवार सत्संग सुनने आती हूं। छेहरटा से निरंकारी भवन तक पहुंचने के लिए बस लेती हूं और हमेशा अगली पंक्ति में बैठकर सत्संग श्रवण करती हूं।
विस्फोट में जख्मी हुई जसबीर कौर ने बताया कि वह अपने बेटे राजनप्रीत के साथ सत्संग में पहुंची थी। धमाके से कुछ मिनट पहले ही उनका बेटा राजनप्रीत सत्संग से उठकर बाहर गया था। ब्लास्ट के बाद जसबीर के सिर व टांगों पर गंभीर चोटें आईं।
सुरक्षा प्रबंधों में हुई चूक : सोनी
पंजाब के शिक्षा मंत्री ओमप्रकाश सोनी ने गुरुनानक देव अस्पताल में दाखिल घायलों से बात की। उन्होंने कहा कि यह बहुत ही कायराना हरकत है। जिसने भी ऐसा किया है उसे बख्शा नहीं जाएगा। सोनी ने माना कि कहीं न कहीं सुरक्षा प्रबंधों में चूक हुई है।
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'मुंह से पिन निकाला और ग्रेनेड फेंक दिया'
'' लोग ध्यान मग्न होकर सत्संग में बैठे थे कि सिर पर परना (कपड़ा) बांधे, मुंह पर नकाब और शाल लपेटे एक युवक तेजी से निरंकारी भवन के अंदर मंच के पास पहुंचा। उसके हाथ में ग्रेनेड था। उसने मुंह से पिन को खींचा और ग्रेनेड मंच पर फेंक दिया। अचनाक मेरे कान के पास से कुछ निकला। मुझे लगा किसी बच्चे ने कुछ फेंक दिया है। इससे पहले मैं पीछे मुड़ का देखता, धमाके की आवाज आई और धुंआ फैल गया। फेंकी गई वस्तु सत्संग कर रही बहन के पैरों में जाकर गिरी। मैं वहां से केवल पांच फीट दूर बैठा था। धुआं फैलते ही चीख-पुकार मच गई।
- प्रत्यक्षदर्शी गुरबाज सिंह, लोहारका।
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'खप पाई तां गोली मार देआंगे'
'' भवन में सत्संग चल रहा था। मैं मेरा साथी अर्जुन गेट पर ड्यूटी दे रहे थे। लगभग 11 बजे दो नकाबपोश युवक आए। बाइक अंदर ले जाने लगे तो मैंने उन्हें रोका, तो एक भीड़ में चला गया। दूसरे ने आकर हम लोगों को गन प्वाइंट पर ले लिया। मेरी बक्खी (मेरी पीठ की तरफ) पिस्तौल लगाई और हमसे पंजाबी में पूछा, 'ऐत्थे की हो रेहाÓ। हमने कहा- निरंकारी सत्संग। फिर उसने हमें धमकाया 'खप पाई तां गोली मार देआंगा।' इतने में दूसरा अंदर बम फेंक कर भागता हुआ बाहर आया और दोनों बाइक पर भाग गए। वह दोनों दस मिनट के करीब वहां रहे। दोनों छह साढ़े छह फीट के सरदार थे। दोनों के पास पिस्टल थी। पंजाबी में बात कर रहे थे।
- सेवादार गगन, भुक्तभोगी।
गुरुनानक देव अस्पताल में दाखिल घायलों की सूची
- सुरजीत कौर, मीरांकोट।
- गगनदीप सिंह, राजासांसी।
- कुलविंदर कौर, सहिसरां कलां।
- आकाशदीप सिंह, राजासांसी।
- हरविंदर सिंह, बग्गा कौड़ा।
- जसबीर कौर, राजासांसी।
- लाल बिहारी, राजासांसी।
- हरजोत सिंह, गांव कुक्कड़ांवाला।
- कुलदीप सिंह, गांव कुक्कड़ांवाला।
- निर्मल कौर, (छेहरटा) अमृतसर।
- राजवंत कौर, राजासांसी।
- सिमरनजीत कौर, राजासांसी।