गुरुद्वारा सुधार लहर के शहीदों की याद में समर्पित होगा गुरमति कार्यक्रम
बीबी जगीर कौर ने कहा कि सिख मिशनरी कालेजों का एक विशाल गुरमति कार्यक्रम एसजीपीसी की ओर से 26 अक्टूबर को आयोजित किया जा रहा है।
जासं, अमृतसर: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की अध्यक्ष बीबी जगीर कौर ने कहा कि सिख मिशनरी कालेजों का एक विशाल गुरमति कार्यक्रम 26 अक्टूबर को आयोजित किया जा रहा है। गुरुद्वारा मंजी साहिब दीवान हाल में यह कार्यक्रम गुरुद्वारा सुधार लहर के शहीदों को समर्पित होगा। जगीर कौर बाद दोपहर पत्रकारों को संबोधित कर रही थीं।
जगीर कौर ने कहा कि एसजीपीसी की स्थापना को 100 वर्ष पूरे हो चुके हैं। इसके तहत अलग-अलग गुरमति कार्यक्रम करवाए गए। इसी के तहत सिख मिशनरी कालेजों के अध्यापकों और विद्यार्थियों का गुरमति कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसमें 56 के करीब सिख मिशनरी कालेज हिस्सा ले रहे हैं। जगीर कौर ने कहा कि धर्म प्रचार के तहत शुरू की गई घर घर अंदर धर्मशाला लहर के तहत करीब 150 जत्थे काम कर रहे हैं जिनको संगत की ओर से काफी सहयोग मिल रहा है। सगत की मांग को मुख्य रख इस अभियान में मिशनरी कालेजों को भी प्रचार का हिस्सा बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व को मुख्य रख एसजीपीसी बड़े अमृत संचार कार्यक्रम आयोजित करने जा रही है। इसमें तख्त साहिबों के जत्थेदार और पांच प्यारे संगत को अमृतपान करवाएंगे। तीन नवंबर को अकाल तख्त साहिब पर होगा अमृतसंचार
जगीर कौर ने बताया कि तीन नवंबर को मंजी साहिब दीवान हाल में गुरमति कार्यक्रम होगा। इसी दिन अकाल तख्त साहिब पर अमृतसंचार होगा। सात नवंबर को तख्त श्री केसगढ़ साहिब में अमृत संचार कार्यक्रम होगा। 11 नवंबर को समाना, 13 नवंबर को गुरुद्वारा रेरू साहिब साहनेवाल, 14 नवंबर को तख्त दमदमा साहिब तलवंडी साबो, 19 नवंबर को गुरुद्वारा बेर साहिब सुल्तानपुर लोधी में अमृत संचार कार्यक्रम होंगे। गुरु रामदास अस्पताल के कर्मचारी होंगे पदोन्नत
जगीर कौर ने सीबीएसई की ओर से पंजाबी भाषा को मुख्य विषयों में बाहर किए जाने की निदा की और कहा कि इसे सहन नहीं किया जाएगा। गुरु रामदास अस्पताल के कर्मचारी जिन्होंने कोरोनाकाल में काफी काम किया, उनको एसजीपीसी स्पेशल तरक्की देगी। सभी कर्मचारी जिन्होंने फ्रंट लाइन पर काम किया है उन सभी को भी तरक्की दी जाएगी। इस मौके एसजीपीसी के पदाधिकारी मनजीत सिंह भूरा कोहना, कुलविदर सिंह रमदास, डा सुखबीर सिंह व मलकीत सिंह बहिड़वाल आदि मौजूद थे।