आतंकवाद के दौर में हिदू-सिख एकता के लिए आरएल भाटिया ने खाई थी सीने पर गोलियां

मैं आरएल भाटिया जी के साथ पिछले 40 वर्षो से अंगसंग रहा हूं। भाटिया जी का जीवन मिसाल रहा है। कांग्रेस पार्टी और सरकार में अहम पदों पर रहे भाटिया ने हमेशा सादा जीवन और सादा खानपान रखा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 07:15 AM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 07:15 AM (IST)
आतंकवाद के दौर में हिदू-सिख एकता के लिए आरएल भाटिया ने खाई थी सीने पर गोलियां
आतंकवाद के दौर में हिदू-सिख एकता के लिए आरएल भाटिया ने खाई थी सीने पर गोलियां

विपिन कुमार राणा, अमृतसर: मैं आरएल भाटिया जी के साथ पिछले 40 वर्षो से अंगसंग रहा हूं। भाटिया जी का जीवन मिसाल रहा है। कांग्रेस पार्टी और सरकार में अहम पदों पर रहे भाटिया ने हमेशा सादा जीवन और सादा खानपान रखा। यही वजह रही कि वह 101 साल की उम्र भोगकर गए है। मैंने उनकी संसदशिप के अलावा विदेश राज्यमंत्री और राज्यपाल वाला भी उनका सफर देखा। उसमें भी सादा रहना, खाना-पाना उनके जीवन में शुमार था। घर और गाड़ी में एसी होने के बावजूद उन्होंने कभी एसी नहीं चलाया। हर किसी का काम हो, इसके लिए वह हमेशा चितित रहते थे। बतौर सांसद वह सुबह नौ बजे आफिस बैठे जाते थे और दोपहर एक बजे एक घंटे का ब्रेक देने के बाद फिर देर रात तक डटे रहते थे। उनकी एक ही सोच थी कि लोगों ने मुझे जिताया है, उनका काम करना मेरा फर्ज बनता है। लोगों के लिए हमेशा उनके दरवाजे खुले रहते थे, फिर चाहे वह आतंकवाद का ही दौर क्यों न रहा हो, उनके दरवाजे लोगों के लिए खुले रहते थे। उनके जीवनकी खास बात यह रही कि उनके साथ अगर कोई सरकारी ड्यूटी पर भी रहा तो उसने कभी मांग नहीं की कि उन्हें वहां से हटा दिया जाए, क्योंकि वह सभी को अपने परिवार की तरह रखते थे। आतंकवाद के काले दौर में भी वह बेझिझक फील्ड में रहे और गांव से लोगों को पलायन न हो, इसके लिए डटे रहे। हिदू-सिख एकता बनी रहे, इसके लिए उन्होंने काम किया और यही वजह रही कि आपरेशन ब्लू स्टार के बाद 19 अप्रैल 1985 सुबह साढे़ आठ बजे तीन गोलियां मार दी गई। तब वह आल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव थे। जब उन्हें गोलियां लगी तब प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे और उनके हस्तक्षेप से एम्स की टीम सक्रिय हुई और उनकी जान बची। भाटिया जी ने 2004 में 84 साल की उम्र में उन्होंने अपना अंतिम चुनाव लड़ा था। 2009 में राज्यपाल और 2016 तक पूरी तरह सक्रिय रहे। जब भी भाटिया हारे, कोई भी सांसद ढाई साल से ज्यादा की समयाविधि नहीं निभा पाया। भाटिया निवास के बाहर बना हुआ बाग उनके कार्यकाल में कांग्रेस नेताओं की गतिविधियों का अहम केंद्र बना रहता था।

-आरएल भाटिया के साथ पिछले 40 वर्षो से अंगसंग रहे केवल किशन ने जैसा बताया। संत सियासतदान थे भाटिया : सोनी

कैबिनेट मंत्री ओम प्रकाश सोनी ने कहा कि भाटिया एक संत सियासतदान थे और उनका जीवन हमेशा ही कांग्रेसियों के लिए प्रेरणा का केंद्र रहेगा। उनके जाने से कांग्रेस ही नहीं समाज की बड़ी क्षति हुई है, जिसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता। संकट मोचक थे भाटिया जी : वेरका

कैबिनेट रैंक विधायक डा. राजकुमार वेरका ने कहा कि भाटिया जी कांग्रेस के तो वरिष्ठ नेता थे ही, पर उनका शुमार सरकारों में संकट मोचक के रूप में होता था। अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में चाइना संकट बना तो उन्हें वहां भेजा गया और उन्होंने चाइना के समझौता कियाथा। पाकिस्तान के साथ सौहार्द रिश्तें बनाने में भी उनकी अहम भूमिका रही। सादा जीवन प्रेरणा का स्त्रोत : दत्ती

विधायक सुनील दत्ती ने कहा कि देश के अहम पदों पर रहने के बावजूद भाटिया जी का सादा जीवन सबके लिए हमेशा ही प्रेरणा का स्त्रोत रहा है और रहेंगा। वह अच्छे मार्गदर्शक थे और यही वजह थी कि कांग्रेसी ही नहीं हर पार्टी के नेता उनसे गाइडेंस लेने के लिए पहुंचते थे।

chat bot
आपका साथी