एसजीपीसी चुनाव लडऩे की तैयारी में राष्ट्रीय सिख संगत, पंजाब में गांव स्तर तक बनाएगी इकाइयां
राष्ट्रीय सिख संगत पंजाब में अपना विस्तार करेगी और गांव स्तर पर अपनी इकाइयों का गठन करेगी। राष्ट्रीय सिख संगत इसके साथ ही शिरोमणि सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ( SGPC) का चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है।
अमृतसर, जेएनएन। राष्ट्रीय सिख संगत (Rashtriya Sikh Sangat) सिखों की सबसे बड़ी संस्था शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के चुनाव लड़ने की तैयारी में है। इसके लिए संगठन ने सिख राजनीति की हालात को ध्यान कदम उठाने और अपना विस्तार करने का फैसला किया है। राष्ट्रीय सिख संगत ने पंजाब में गांव स्तर पर संगठन का विस्तार करने की रणनीति तैयार की है। राष्ट्रीय सिख संगत की एसजीपीसी (SGPC) चुनाव लड़ने की तैयारी के मद्देनजर पंजाब की सिख राजनीति में हलचल मच गई है।
जानकारों का कहना है कि राष्ट्रीय सिख संगत(Rashtriya Sikh Sangat) ने इस बार एसजीपीसी चुनाव लडऩे का निर्णय लिया है। इसके लिए वह गांवों में अपनी इकाइयां गठित करेगी और ग्रामीण लोगों को संगठन की विचारधारा के साथ जोड़ेगी। इस संबंध में राष्ट्रीय सिख संगठन की अमृतसर जिला शाखा ने पिछले दिनों बैठक कर खास रणनीति पर चर्चा की थी।
बताया जाता है कि संगठन के राष्ट्रीय महासचिव रघुबीर ने संगठन के कार्यकर्ताओं को नीतियों का जन-जन तक प्रचार करने के लिए निर्देश दिए हैं। यह भी बताया जाता है कि वहीं एसजीपीसी चुनाव में हिस्सा लेने को लेकर भी रणनीति पर चर्चाओं की गई। इसके लिए अन्य संगठनों के साथ भी गठबंधन हो सकता है। राष्ट्रीय सिख संगत पहले ही पंजाब के अलग-अलग सिख संगठनों के साथ इस मुद्दे पर बातचीत कर रहा है। संगठन के युवा विंग का विस्तार करते हुए मनीश कुमार को उपाध्यक्ष और गुरिंदर सिंह को सचिव व प्रवक्ता डा. संदीप सिंह के अनुसार संगठन का विस्तार अभियान बड़े स्तर पर शुरू किया जाएगा।
जगीर कौर ने ऐतराज, कहा- राष्ट्रीय सिख संगत को एसजीपीसी चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं
दूसरी ओर,शिरोमणि सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) की नवनिर्वाचित अध्यक्ष बीबी जगीर कौर राष्ट्रीय सिख संगत के एसजीपीसी का चुनाव लड़ने के ख्निलाफ हैं। उनका कहना है कि राष्ट्रीय सिख संगत को एसजीपीसी (SGPC) चुनाव लड़नंे का अधिकार ही नहीं है। न वह अमृतधारी सिख हैं और न कौम की मर्यादा को मानते हैं। मनमर्जीं करने वालों का सिख कौम के मामलों व गुरुद्वारा प्रबंधन में दखल कौम कभी सहन नहीं करेगी। पंथ की सेवा करना चाहती हूं। किसी से टकराव करना मेरा मकसद नहीं है।