रेवेन्यू अधिकारियों ने किया कोर्ट केस और ईएम ड्यूटी का बायकाट
रेवेन्यू अफसरों पर विजिलेंस की तरफ से की जा रही कार्रवाई के विरोध में पंजाब रेवेन्यू आफिसर्स एसोसिएशन ने कोर्ट केस और एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट डयूटी का बायकाट कर दिया है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : रेवेन्यू अफसरों पर विजिलेंस की तरफ से की जा रही कार्रवाई के विरोध में पंजाब रेवेन्यू आफिसर्स एसोसिएशन ने कोर्ट केस और एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट डयूटी का बायकाट कर दिया है। इन कामों का तब तक बायकाट रहेगा, जब तक उनकी डिमांड पर ध्यान नहीं दिया जाता। रेवेन्यू अधिकारियों की तरफ से इन कामों का बायकाट करने से कोर्ट के तक्सीम केस, इंतकाल, रिकवरी व अन्य काम प्रभावित होंगे।
एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों की तरफ जल्द ही ध्यान न दिया गया तो आने वाले दिनों में इसके गंभीर परिणाम सामने आएंगे। बता दें कि रेवेन्यू विभाग के तीस साल पुराने मामले में दो सेवानिवृत्त तहसीलदार, एक मौजूदा तहसीलदार के खिलाफ विजिलेंस ब्यूरों की तरफ से आपराधिक केस दर्ज किया गया है। इसके अलावा कई अन्य रेवेन्यू अधिकारियों पर मामले दर्ज किए जा रहे है, जिसका विरोध एसोसिएशन की तरफ से किया जा रहा है। उनकी मांग है कि इन मामलों को रद्द किया जाए और उन्हें सरकारी गाड़ी और सुरक्षा मुहैया करवाई जाए। एसोसिएशन ने 12 अप्रैल को अधिकारियों को इस बारे अवगत करवाकर 7 दिन का अल्टीमेटम दिया था, जिसका समय सोमवार को खत्म हो गया।
एसोसिएशन के प्रधान गुरेदव सिंह धम्म का कहना कई रेवेन्यू अधिकारियों के पुराने केस लंबित हैं, उन पर कोई फैसला नहीं किया जाता और अधिकारियों पर मामले दर्ज कर दिए जाते हैं, जो गलत है। उन्होंने कहा कि इस बारे कई बार सरकार के नुमाइंदों को अवगत करवाया गया है,लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पूरे पंजाब में 300 के करीब रेवेन्यू अधिकारी, तहसीलदार व नायब तहसीलदार है, जिनमें सरकार की तरफ से सिर्फ 20 से 22 गाड़ियां ही उपलब्ध करवाई गई है। वह अपनी प्राइवेट गाड़ियों में सरकारी ड्यूटी करते हैं। इतना ही नहीं उन्हें सुरक्षा भी नामात्र ही दी गई है। जब वह कार्रवाई करने के लिए जाते है तो उन्हें लोगों के विरोध का सामना करना पड़ता है। उन्होंने मांग की है कि रेवेन्यू अधिकारियों पर जो केस चल रहे है, उनकी अपील दलील होनी चाहिए और उन्हें सरकारी गाड़ियां व सुरक्षा मुहैया करवाई जाए। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं होती है तो संघर्ष को और तेज किया जाएगा, जिसके परिणाम गंभीर होंगे।