पंजाब में NIA के हिरासत में था कैदी, डाक्‍टरों ने कर दिया फर्जी इलाज, छह पर गिरी गाज

पंजाब के अमृतसर में बड़े मामले का खुलासा हुआ है और इसके लपेटे में दह डॉक्‍टर आए हैं। आरोप है कि इन डॉक्‍टरों ने अमृतसर जेल के एक ऐसे कैदी के इलाज का रिकार्ड पेश कर दिया जो एनआइए के हिरासत में था। छह डॉक्‍टर सस्‍पेंड किए गए हैं।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Wed, 09 Dec 2020 08:48 AM (IST) Updated:Wed, 09 Dec 2020 08:48 AM (IST)
पंजाब में NIA के हिरासत में था कैदी, डाक्‍टरों ने कर दिया फर्जी इलाज, छह पर गिरी गाज
अमृतसर में कैदी का फर्जी इलाज रिकार्ड पेश करने के मामले में छह डॉक्‍टर फंस गए हैैं। (फाइल फोटो)

अमृतसर, जेएनएन। पंजाब के अमृतसर में बड़ा खुलासा हुआ है। अमृतसर की सेंट्रल जेल का एक कैदी नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआइए) की हिरासत में था और डॉक्‍टरों ने उसका फर्जी इलाज कर दिया और इसका रिकार्ड पेश कर दिया। राज्‍य के स्वास्‍थ्य विभाग ने केंद्रीय जेल में कार्यरत छह डाक्टरों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया है। आरोप है कि उन्होंने सतपाल नाम के युवक के फर्जी इलाज का रिकार्ड दर्ज किया, जबकि यह कैदी की हिरासत में था। रिकार्ड में उसे कौन-कौन सी दवा खिलाई गई, कब-कब डाक्टरों ने उसकी जांच की, यह सब कुछ लिखा गया है।

 नशा तस्करी के मामले में गिरफ्तार कैदी एनआइए की हिरासत में था

इस फर्जीवाड़े की भनक जब एनआइए को लगी तो उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को जानकारी दी गई। स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह सिद्धू ने जांच करवाई और इन छह डाक्टरों को सस्पेंड कर दिया। इनमें मेडिकल अफसर डा. सुधीर अरोड़ा, डा. शिविंदर सिंह, डा. किरण कुमार, डा. विनोद कपूर, डा. हरमीत सिंह व डा. विश्वपाल सिंह शामिल हैं। निलंबन की पुष्टि सिविल सर्जन डा. आरएस सेठी ने की है।

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी की रिपोर्ट पर स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई

जानकारी के अनुसार, सतपाल सिंह नशा तस्करी के मामले में पकड़ा गया था। एनआइए ने नशे के नेटवर्क का पता लगाने के लिए उसे रिमांड पर लिया गया था। 10 फरवरी 2020 से 17 फरवरी तक आठ दिन सतपाल ¨सह एनआइए की हिरासत में रहा। उससे लगातार पूछताछ की जाती रही। इसी बीच सेंट्रल जेल अमृतसर के डाक्टर उसे जेल के अस्पताल में एडमिट दिखाकर फर्जी इलाज करते रहे।

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जेल प्रशासन का तर्क, क्लेरिकल मिस्टेक हुई

जेल प्रशासन का तर्क है कि यह क्लेरिकल मिस्टेक की वजह से हुआ। सतपाल 2011 से शुगर का मरीज है। एनआइए उसे हिरासत में ले गई और जेल के डाक्टरों से उसकी मेडिकल हिस्ट्री की रिपोर्ट मांगी। डाक्टरों ने फाइल कंपलीट करनी थी, इसलिए उन्होंने जल्दबाजी में रिपोर्ट पर दवा व उपचार की प्रक्रिया दर्ज कर दी। यह गलती उनसे हुई। फर्जी ट्रीटमेंट की बात से जेल प्रशासन ने इन्कार किया है।

खास कैदियों पर मेहरबान जेल प्रशासन!

जेल में बंद कुछ कैदियों पर जेल प्रशासन मेहरबान रहता है। ऐसे खास कैदियों को वीआइपी ट्रीटमेंट दिया जाता है। ऐसे कैदियों को बीमार दिखाकर जेल के अस्पताल में भर्ती कर लिया जाता है और फिर यहीं रखकर सुविधाएं दी जाती हैं। इनकी रिपोर्ट पर दवाएं व इलाज दर्ज किया जाता है। बताया जा रहा है कि सतनाम के मामले में भी ऐसा ही हुआ।

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