डा. महल को मोंटेक सिंह आहलूवालिया की आत्मकथा का पंजाबी संस्करण भेंट किया
प्रसिद्ध अर्थ शास्त्री डा. मोंटेक सिंह आहलूवालिया की आत्मकथा के पंजाबी संस्करण के प्रकाशन का स्वागत करने के लिए खालसा कालेज में बैठक का आयोजन किया गया।
संस, अमृतसर : प्रसिद्ध अर्थ शास्त्री डा. मोंटेक सिंह आहलूवालिया की आत्मकथा के पंजाबी संस्करण के प्रकाशन का स्वागत करने के लिए खालसा कालेज में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में पुस्तक के अनुवादक व कालेज के पत्रकारिता व जन संचार विभाग के सहायक प्रो. दीप जगदीप सिंह ने पुस्तकों की पहली प्रति प्रिसिपल डा. महल सिंह को भेंट की। इस महत्वपूर्ण पुस्तक के प्रकाशन पर प्रिसिपल डा. महल सिंह ने बधाई देते हुए कहा कि अनुवाद भाषाएं जोड़ने वाले पुल का काम करता है जो एक भाषा के ज्ञान को दूसरी भाषा के पाठकों तक पहुंचा कर ज्ञान का बढ़ाता है। अपनी मां-बोली पंजाबी में विश्व भर के ज्ञान के स्रोत प्रफुल्लित करना कालेज की परंपरा रही है तथा यह पुस्तक उस क्रम को आगे बढ़ाती है। शहीद मदन लाल ढींगरा का स्मारक शीघ्र बनाए पंजब सरकार: प्रो. लक्ष्मीकांता
वहीं पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह को यह याद है कि 1919 से भी दस साल पहले लंदन में ब्रिटिश साम्राज्य की छाती पर पहुंचकर अमृतसर के मदनलाल ढींगरा ने गोलियां मारकर भारतीय विद्यार्थियों के अपमान का बदला लिया था तथा उन्हें पैटन विले जेल में फांसी पर लटका दिया गया था।
उन्होंने कहा कि अपने देश से दूर देशभक्ति की आग दिल में लेकर जिस युवक ने सर्वस्व बलिदान किया, उसका स्मारक बनाने में पंजाब सरकार को संकोच क्यों हो रहा हैं। कैप्टन यह भी भूल गए कि 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद ढींगरा की प्रतिमा पर ही हमें विश्वास दिलाया था कि ढींगरा का स्मारक बनवाएंगे। मुझे तो यह लगता है कि कैप्टन साहब को जलियांवाला बाग और शहीदों से कुछ देना-लेना नहीं। सिर्फ चुनाव नजदीक आ रहे हैं, इसलिए जलियांवाला बाग से बाहर रंजीत एवेन्यू में नया स्मारक बनाने जा रहे हैं।