वजन कम करने के साथ-साथ कमर की चर्बी को घटाता है पश्चिमोत्तानासन
पश्चिमोत्तानासन दो शब्द मिल कर बना है । पश्चिम का अर्थ होता है पीछे और उत्तान का अर्थ होता है तानना।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
पश्चिमोत्तानासन दो शब्द मिल कर बना है । 'पश्चिम' का अर्थ होता है पीछे और 'उत्तान' का अर्थ होता है तानना। इस आसन के दौरान रीढ़ की हड्डी के साथ शरीर का पिछला भाग तन जाता है जिसके कारण इसका नाम पश्चिमोत्तानासन दिया गया है।
योग शिक्षिका पूनम बताती हैं कि यह स्वस्थ्य के लिए बहुत ही लाभदायक आसन है। यह विभिन्न प्रकार की बीमारियों को दूर करने में मदद करता है।
पश्चिमोत्तानासन योग देखने में थोड़ा कठिन लगता है। लेकिन धीर धीरे अभ्यास करने पर इसको आप आसानी से कर सकते हैं।
पश्चिमोत्तानासन के लाभ
सबसे पहले आप जमीन पर बैठ जाएं।
अब आप दोनों पैरों को सामने फैलाएं।
पीठ की मांस पेशियों को ढीला छोड़ दें।
सांस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर लेकर जाएं, फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें।
आप कोशिश करते हैं अपने हाथ से पैरों की अंगुलियों को पकड़ने का और नाक को घुटने से सटाने का अभियान करते हुए धीरे धीरे सांस लें, फिर धीरे धीरे सांस छोड़ें।
और अपने हिसाब से इस अभ्यास को धारण करें।
धीरे धीरे इसकी अवधि को बढ़ाते रहे।
यह एक चक्र हुआ। इस तरह से आप तीन से पांच चक्र करें। पश्चिमोत्तानासन के लाभ
यह आसन मेरुदंड को लचीला बनाता है और हमें बहुत रोगों से दूर करता हैं।
अगर आपको अपनी पेट की चर्बी कम करनी हो तो इस आसन का नियमित अभ्यास करें। यह पेट को कम करने के साथ साथ कमर को पतला करने में भी मदद करता है।
यह आसन वीर्य सबंधित परेशानियों को दूर करता है।
इसका नियमित अभ्यास करने से पेट की पेशियां मजबूत होती हैं जो पाचन से सम्बंधित परेशानियां को दूर करने में सहायक हैं।
इस आसन के अभ्यास से त्वचा रोगों को दूर करने में सहायता मिलती है।
यह आसन साइटिका से सम्बंधित रोगों को दूर करता है।
पश्चिमोत्तानासन के नियमित अभ्यास से तनाव को बहुत हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही साथ क्रोध को दूर करते हुए मन को शांत एवम प्रसन्न रखता है। पश्चिमोत्तानासन के अभ्यास से आप गुर्दे की पथरी को रोक सकते हैं।
इसके अभ्यास से आप उम्र की गति को धीमा कर सकते हैं।
यह बवासीर में लाभकारी है।
यह आसन अनिद्रा रोग में लाभदायक है।
यह आसन महिलाओं के कई रोगों में भी लाभकारी है।