मौत की सुई रुकी, जहरीले कारोबार की घड़ी नहीं

जदो वाड ही खेत नूं खाण लग पवे तां फसलां दी राखी कौन करूं।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 03 Aug 2020 11:54 PM (IST) Updated:Mon, 03 Aug 2020 11:54 PM (IST)
मौत की सुई रुकी, जहरीले कारोबार की घड़ी नहीं
मौत की सुई रुकी, जहरीले कारोबार की घड़ी नहीं

धर्मबीर सिंह मल्हार, तरनतारन : जदो वाड ही खेत नूं खाण लग पवे तां फसलां दी राखी कौन करूं। पंजाबी की यह कहावत गांव पंडोरी गोला के उन परिवारों पर स्टीक बैठती है जो सत्तारूढ़ पार्टी की शह पर अवैध शराब का कारोबार करते है। जिले में जहरीली शराब की भेंट चढ़ने वालों की संख्या 90 से अधिक पहुंच जाने के बाद एक बार मौत का तांडव तो थम गया लेकिन कारोबार अब भी जारी है। यहां प्रशासन की लापरवाही भी साफ नजर आती है। गांव में पुलिस ने भले ही सख्ती कर दी लेकिन कुछ घरों पर उसकी नजर अभी भी नहीं पड़ी। यहीं कारण है कि वे अब गुपचुप तरीके से अपना कारोबार चालू रखे हुए हैं।

हलका खडूर साहिब के गांव पंडोरी गोला में किसी जमाने में मीठे बेर दूर-दूर तक मशहूर थे। अब जहरीली शराब के नाम से इस गांव को जाना जा रहा है। करीब पांच हजार की आबादी वाले इस गांव में छह गुरुद्वारा साहिब भी है। एक एलिमेंट्री व एक सीनियर सेकेंडरी स्कूल के अलावा सेहत केंद्र भी है। गांव में कुल पांच छप्पड़ है। इन छप्पड़ों के आसपास अवैध शराब के कारोबार को बल मिलता है। गांव से संबंधित कुछ परिवार ऐसे है, जिनकी राजनीति में अच्छी पैठ है। पहले अकाली दल की सरकार के समय अवैध शराब का कारोबार होता था और अब कांग्रेस पार्टी से जुड़े परिवार अवैध शराब का धंधा करते है। छप्पड़ों के आसपास खेतों में अभी भी लाहन के ड्रम देखे जा सकते है। सत्तारूढ़ पार्टी से जुड़ नेताओं ने अब शराब तैयार करने का ठिकाना बदलकर गांव से बाहर का रुख कर लिया है। इस नए ठिकाने पर अवैध शराब तैयार करने लिए बकायदा भट्ठी भी तैयार करवा ली। गांव पंडोरी गोला में तैयार जहरीली शराब की होम डिलीवरी भी लगातार जारी है। बता दें कि यह वहीं गांव है जहां से दूर-दूर तक बिकी जहरीली शराब की भेंट चढ़कर 90 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके है। दस घरों के बुझे है चिराग

ग्रामीण बग्गा सिंह, जरनैल सिंह, शीशा सिंह, बलविंदर सिंह व कश्मीर कौर का कहना है कि जहरीली शराब पीने से इस गांव में दस लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें केवल पांच लोगों के ही पोस्टमार्टम करवाए गए है। बाकी शवों का पुलिस को बिना बताए अंतिम संस्कार करवा दिया गया। इसके पीछे की वजह है कि कानूनी कार्रवाई के दौरान उन्हें यह बताना जरूरी था कि शराब कहां से खरीदी गई। कुछ लोग गांव में दुश्मनी मोल नहीं लेना चाहते उसी कारण कार्रवाई से परहेज किया।

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