महालक्ष्मी के व्रत पर लोगों ने अपने बच्चों के लिए लंगूर बनने वाले वस्त्र लिए

सात अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक चलने वाले श्री लंगूर मेले के लिए मंगलवार को कई परिवारों ने अपने बच्चों के लिए लंगूर बनने वाले वस्त्र लिए।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 07:49 PM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 07:49 PM (IST)
महालक्ष्मी के व्रत पर लोगों ने अपने बच्चों के लिए लंगूर बनने वाले वस्त्र लिए
महालक्ष्मी के व्रत पर लोगों ने अपने बच्चों के लिए लंगूर बनने वाले वस्त्र लिए

कमल कोहली, अमृतसर

सात अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक चलने वाले श्री लंगूर मेले के लिए मंगलवार को कई परिवारों ने अपने बच्चों के लिए लंगूर बनने वाले वस्त्र लिए।

श्राद्ध के दिनों में लोग वस्त्र लेने से परहेज करते हैं, परंतु मंगलवार को माता महालक्ष्मी का व्रत होने के कारण इस दिन को शुद्ध माना जाता है। इसलिए काफी संख्या में लंगूर बनने वाले बच्चों के माता-पिता ने श्री दुग्र्याणा तीर्थ से मिलने वाली वस्तुओं को पूरी धार्मिक परंपरा के साथ लिया। वहीं कई परिवारों ने बाजारों से भी लंगूर बनने के वस्त्र खरीदें।

दस दिनों तक चलने वाले इस लंगूर मेले में वे परिवार जिनके घर में ठाकुर जी की कृपा से संतान पैदा होती है, अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए बच्चों को लंगूर बनाते हैं। यह परिवार श्री दुग्र्याणा तीर्थ परिसर में बने श्री वेदकथा भवन में लंगूर के स्वरूप में सजने वाली पोशाकें व अन्य सामान लेने आ रहे हैं।

बच्चों के लिए 900 से अधिक लोग ले चुके हैं पोशाकें

मंदिर प्रबंधन के अनुसार अब तक श्री दुग्र्याणा तीर्थ से 900 से अधिक लोग बच्चों के लिए पोशाकें लेकर जा चुके हैं। इस बार कई परिवार अपनी लड़कियों को भी लंगूर बनाने के लिए पोशाकें लेने के लिए आ रहे हैं। तरुण कुमार, प्रिया निवासी हरिपुरा और मंजीत कौर निवासी तहसीलपुरा ने बताया कि वह लंगूर बनने के लिए अपनी माता के साथ पोशाकें लेने आये हैं। इसी तरह सीमा निवासी इस्लामाबाद बताया कि वह अपने एक वर्षीय लड़के को पहली बार लंगूर बना रही है और उसकी के लिए यह पोशाकें लेने आई है। रेणुका व नरेश निवासी लोहगढ़ ने बताया कि वह अपने बेटे को दूसरी बार लंगूर बना रही है।

श्री वेदकथा भवन में बैठे पं. भास्कर ने बताया कि मंदिर परिसर में अब तक करीब 900 परिवार पोशाकें भक्तजन ले गए है। भक्तजनों को रोजाना सुबह नौ से दोपहर एक बजे तक तथा सायं चार से आठ बजे तक पौशाकें दी जाती हैं। लंगूर बनने के लिए कुर्ता पायजामा, छड़ी, टोपी, घुंघरू दिए जा रहे हैं। श्री गिरिराज सेवा संघ के संजय मेहरा ने कहा कि इस समय को श्राद्ध शुरू रहे हैं। श्राद्धों में लोग पौशाकें लेने कम आते हैं। महालक्ष्मी के व्रत वाले दिन भक्तजनों की भीड़ पौशाकें लेने पहुंची। मंगलवार को करीब 200 बच्चों की बसा के गई हैं अब तक करी 900 से अधिक लोग और बनने की लिस्ट उनके पास आ गई है। कमल कोहली

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