भारत में साम्राज्यवादी मानसिकता के अफसर नहीं चाहिए: प्रो. चावला
पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने कहा है कि स्वतंत्र भारत में साम्राज्यवादी मानसिकता के अधिकारियों की जरूरत नहीं है।
संवाद सहयोगी, अमृतसर: पूर्व मंत्री प्रो. लक्ष्मीकांता चावला ने कहा है कि स्वतंत्र भारत में साम्राज्यवादी मानसिकता के अधिकारियों की जरूरत नहीं है। पंजाब हो या हरियाणा आजकल किसानों और कर्मचारियों पर केवल लाठियां ही चलाई जा रही हैं। हरियाणा के करनाल में जिस तरह किसानों पर बेरहमी से लाठियां चलाई गईं वह अत्यंत निदाजनक है। अफसोस यह है कि नई पीढ़ी का, स्वतंत्र भारत का प्रशासनिक अधिकारी उसी मानसिकता से काम करता रहा जिससे कभी अंग्रेजों के सांडर्स और स्कॉट करते थे। ऐसा लगता है कि नए आए अधिकारी के सिर पर अफसरी चढ़ गई और वह कहने लगा अगर कोई किसान आगे बढ़े तो सिर फोड़ दो। केवल हरियाणा सरकार को नहीं, अपितु भारत सरकार को ऐसे अफसर वापस लेने चाहिए और यह देखे कि इनकी ट्रेनिग में कहां कमी रह गई है। पंजाब में भी कभी ठेका कर्मचारियों, कभी अध्यापकों और कभी किसानों पर बुरी तरह लाठियां चलाकर और उन्हें जेलों में डालकर तानाशाही जैसा सलूक किया जा रहा है। सरकारें याद रखें कि किसान, अध्यापक, सरकारी कर्मचारी स्वतंत्र भारत के नागरिक हैं। उनके साथ बैठकर समस्याओं का हल करे। लाठियां मार कर नहीं, क्योंकि जब पांच वर्ष बाद कर्मचारी वोट की लाठी मारेंगे तो सरकारें गिर जाएंगी।