बेअदबी की घटनाएं रोकने को पांच सदस्यीय कमेटी जुटाएगी सभी वर्गो से सुझाव

श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की हो रही घटनाओं पर रोक लगाने व दोषियों को सजा दिलवाने के मामले में सुझाव लेने संबंधी अकाल तख्त पर बैठक बुलाई गई।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Jul 2021 03:31 AM (IST) Updated:Tue, 27 Jul 2021 03:31 AM (IST)
बेअदबी की घटनाएं रोकने को पांच सदस्यीय कमेटी जुटाएगी सभी वर्गो से सुझाव
बेअदबी की घटनाएं रोकने को पांच सदस्यीय कमेटी जुटाएगी सभी वर्गो से सुझाव

जासं, अमृतसर: श्री अकाल तख्त साहिब की ओर से श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की हो रही घटनाओं पर रोक लगाने व दोषियों को सजा दिलवाने के मामले में सुझाव लेने संबंधी अकाल तख्त पर बैठक बुलाई गई। कमरे में हुई बैठक से मीडिया को दूर रखा गया। इसमें विभिन्न जत्थेबंदियों के प्रतिनिधि शामिल हुए।

इसमें बेअबदी व सीमांत गांवों में होते धर्म परिवर्तन के मुद्दों पर भी चर्चा हुई। इस दौरान सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित हुआ कि बेअदबी के मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। इसे चुनावों में उपयोग न किया जाए। घटनाएं रोकने के लिए एक पांच सदस्यीय टीम गठित की जाएगी जो सभी वर्गो, जत्थेबंदियों और संप्रदायों से सुझाव लेकर एक प्रोग्राम तैयार करेगी। इसे लागू करके बेअदबी की घटनाओं को रोका जाएगा। वहीं दोषियों को कानून के अनुसार सजा दिलवाने के लिए सरकार व प्रशासन को सहयोग दिया और लिया जाएगा। अगर फिर भी दोषियों को सजा न हुई तो अकाल तख्त साहिब की ओर से खुद ही सख्त फैसले लिए जाएंगे। वर्ष 2013 से 2019 तक 247 बेअदबी की घटनाएं हुई हैं।

बीबी जगीर कौर ने कहा कि कहीं भी बेअदबी हो तो दोषी अकाल तख्त या एसजीपीसी को ही कहा जाता है। लोगों को इस तरह का प्रचार नहीं करना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि कुंवर विजय प्रताप ने सहीं जांच नही की। बैठक के बाद पत्रकारों से ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने कहा कि एक राजनीति के तहत बेअदबी की घटनाएं हो रही है। इसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश हो रही है जो निदनीय है। सभी पार्टियों को दोषियों को सजाएं दिलवाने की तरफ ही ध्यान देना चाहिए। बैठक में दो दर्जन से अधिक जत्थेबंदियों के प्रतिनिधि शामिल हुए। खटड़ा बोले, सीबीआइ को जांच न जाती तो अब तक दोषियों को सजा मिल जाती

मामले की जांच को लेकर पहले बनी एसआइटी के मुखी रणबीर सिह खटड़ा भी बैठक में शामिल हुए। बैठक के बाद खटड़ा ने कहा कि बरगाड़ी कांड के साथ संबंधित तीन एफआइआर दर्ज हुई हैं। पहली जून 2015 को, दूसरी 24 सितंबर 2015 को और तीसरी 12 अक्टूबर को दर्ज हुई। तीनों घटनाएं समानता रखती हैं। यह सीधे डेरा सिरसा के मुखी से संबंध रखती हैं। इसमें डेरे के तीन राष्ट्रीय प्रचारकों और 28 अन्य डेरे के लोग शामिल पाए गए थे। दो व्यक्ति रूपिदर सिंह और जसविदर सिंह ने अलग अलग स्थानों से श्री गुरु ग्रंथ साहिब के एकत्र किए अंगों में से कुछ को छुपा लिया था। उन्होंने कहा कि अगर बेअदबी की जांच सीबीआइ को ट्रांसफर न की जाती तो दोषियों को आज तक सजा मिल जानी थी। प्रर्शनकारियों की जांच को गलत दिशा की ओर लेजाने के कारण दोषी पकड़े नहीं गए।

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