साउथ सब डिवीजन में जेई के नौ पद, सिर्फ पांच से चल रहा काम
गर्मी से बचने के लिए दिन-रात चलने वाले कूलरों के साथ-साथ एयर कंडीशनरों का लोड बिजली के ट्रांसफार्मरों पर पड़ता है।
हरदीप रंधावा, अमृतसर : गर्मी से बचने के लिए दिन-रात चलने वाले कूलरों के साथ-साथ एयर कंडीशनरों का लोड बिजली के ट्रांसफार्मरों पर पड़ता है। गर्मी में बिजली बंद की समस्या से कहीं न कहीं लोगों को अकसर जूझते हुए देखा जा सकता है। बिजली की निर्विघ्न सप्लाई के लिए पावरकाम मैनेजमेंट अपने स्तर पर खूब हो हल्ला करती है, जोकि इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ मैनपावर के बिना असंभव है।
सब अर्बन सर्किल की ईस्ट डिवीजन के अंतर्गत पड़ती सबसे बढ़ी 40 हजार उपभोक्ताओं वाली साउथ सब डिवीजन में नौ जूनियर इंजीनियरों (जेई) के पद हैं और पिछले लंबे समय से सिर्फ पांच जेई के जरिए ही सब डिवीजन में काम चलाया जा रहा है। ग्यारह केवीए पांच- पांच फीडरों की जिम्मेदारी एक जेई को मिली है, जिनसे संबंधित इलाकों में अचानक बंद हुई बिजली को निर्धारित समय में बहाल करना उनके लिए सिर दर्दी बनता है।
साउथ सब डिवीजन में चार जूनियर इंजीनियरों (जेई) के पद खाली होने की जानकारी होने के बावजूद आज तक विभाग के अधिकारियों ने कोई प्रयास नहीं किया है। सब डिवीजन में फीडरों की संख्या बीस है, जिसमें वर्तमान तैनात जेई सुखदेव लाल, रंजीत सिंह, मनप्रीत सिंह, समीर वर्मा व जगदीश अरोड़ा को पांच-पांच फीडरों की जिम्मेदारी सौंप रखी है। सब डिवीजन में तैनात जेई के पद पर तैनात कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें फील्ड में कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, जिसमें विभाग का सामान रखने के लिए स्टोर, बैठने के लिए जगह, विभाग का सामान एक जगह से दूसरी जगह पर लेकर जाने के लिए ट्रांसपोर्टेशन की समस्या है। सबसे अहम उनके लिए मैनपावर की समस्या है, जोकि ना होने की वजह से उन्हें विभागीय अधिकारियों के साथ-साथ उपभोक्ताओं की बातें सुननी पड़ती है। एक समय था जब बिजली घरों की तीनों ही शिफ्टों में उनके पास फील्ड में काम करने वाले चार-चार कर्मचारी हुआ करते थे। मगर इस समय में सिर्फ दो-दो ही कर्मचारी काम कर रहे हैं। दिन ब दिन कनेक्शनों की संख्या भी बढ़ रही है, जिसे मुख्य रखते हुए उपभोक्ताओं निर्विघ्न व निर्धारित समय में बिजली सप्लाई देने के लिए मुकम्मल स्टाफ मिलना चाहिए, क्योंकि उन्हें काम के बोझ की वजह से तनाव ग्रस्त होना पड़ता है। भर्ती व पदोन्नति पर अटकता है स्टाफ का पेच
साउथ सब डिवीजन के कार्यकारी सब डिवीजनल अधिकारी (एसडीओ) महिदरपाल का कहना है विभागीय उच्चाधिाकरियों को हर महीने ही वेकेंसी रिपोर्ट बनाकर भेजी जाती है। स्टाफ की संख्या को बढ़ाना सरकार व पावरकाम मैनेजमेंट के हाथ में होता है। इसके लिए वह कुछ नहीं कह सकते हैं। यह जरूर कह सकते हैं कि स्टाफ की संख्या को पूरा करने का पेच भर्ती व पदोन्नति पर ही आकर अटकता है।