सिद्धू के पिता कैप्टन को राजनीति में लाए और सिद्धू ने ही कर दिया 'आउट'

सियासी पिच पर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चले सियासी मैच में सिद्धू उन्हें आउट करने में सफल रहे।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 04:00 AM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 04:00 AM (IST)
सिद्धू के पिता कैप्टन को राजनीति में लाए और सिद्धू ने ही कर दिया 'आउट'
सिद्धू के पिता कैप्टन को राजनीति में लाए और सिद्धू ने ही कर दिया 'आउट'

विपिन कुमार राणा, अमृतसर: सियासी पिच पर पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह और पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चले सियासी मैच में सिद्धू उन्हें 'आउट' करने में सफल रहे। खास बात यह है कि 1970 में सिद्धू के पिता भगवंत सिंह सिद्धू कैप्टन को सियासत में लेकर आए थे। इसे खुद कैप्टन ने चंडीगढ़ में पीपीसीसी प्रधान बने सिद्धू के ताजपोशी समारोह में उजागर किया था। 51 साल बाद भगवंत सिंह के बेटे यानी नवजोत सिद्धू ने कैप्टन को राजनीतिक हाशिये पर धकेल दिया।

चंडीगढ़ सेक्टर 15 स्थित कांग्रेस भवन में पीपीसीसी प्रधान बने सिद्धू के ताजपोशी समारोह में सिद्धू परिवार के साथ अपने कनेक्शन का हवाला देते हुए कहा था कि जब सिद्धू पैदा हुए थे तब से उनके परिवार को जानता हूं। सिद्धू का जन्म 1963 में हुआ था और यही वक्त था जब मैं चीन के बार्डर पर शिफ्ट हुआ था। कैप्टन ने कहा कि मेरी माता जी ने और सिद्धू के पिता ने भी साथ काम किया। सिद्धू के पिता तब पटियाला के प्रधान थे। इसके बाद मेरी माता जी 1967 में लोकसभा में आ गईं। वहीं जब मैं 1970 में सेना छोड़ कर आया तो माता जी ने कहा कि राजनीति में कदम रखो। पर मैं तो बिल्कुल भी राजनीति के बारे में नहीं जानता था। तब माता जी ने कहा- सिद्धू के पिता सरदार भगवंत सिंह सब सिखा देंगे। इसके बाद फिर सिद्धू के पिता के साथ मेरी कई बैठकें हुई और भगवंत सिंह ने मेरा कदम सियासत में रखवा दिया। मंत्री पद से हटने के बाद बड़ी तलखी

कैप्टन ने छह जून 2019 को सिद्धू से निकाय विभाग ले लिया था और उन्हें ऊर्जा विभाग दिया था। तब से सिद्धू सरकार विशेषकर कैप्टन से नाराज चल रहे थे और समय-समय पर उन्होंने कैप्टन व सरकार को घेरने में कोई कसर नहीं रखी। कैप्टन के विरोध के बावजूद जब सिद्धू पीपीसीसी प्रधान बन गए तो उन्होंने माझा एक्सप्रेस माने जाने वाले तीन बड़े नेताओं कैबिनेट मंत्री सुखजिदर सिंह रंधावा, तृप्त राजिदर सिंह बाजवा ओर सुखबिदर सिंह सुखसरकारिया के साथ कैप्टन को सीएम पद से हटाने की कवायद शुरू कर दी थी। उसके लिए विधायकों की परेड से लेकर हाईकमान तो विधायकों से पत्र तक लिखाने का सिलसिला चला ओर आखिर यह खेमा इसमें कामयाब हो गया।

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