गुरु गोबिद सिंह जी के प्रकाश उत्सव पर नगर कीर्तन निकाला

अमर शहीद बाबा जीवन सिंह की तरफ से प्रधान सरपंच हीरा सिंह के सहयोग से गांव बासरके में गुरु गोबिद सिंह जी के प्रकाश पर्व को समर्पित पांच प्यारों की अगुआई में नगर कीर्तन निकाला गया

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 11:13 PM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 11:13 PM (IST)
गुरु गोबिद सिंह जी के प्रकाश उत्सव पर नगर कीर्तन  निकाला
गुरु गोबिद सिंह जी के प्रकाश उत्सव पर नगर कीर्तन निकाला

संवाद सूत्र, छेहरटा, अमृतसर : गुरुद्वारा अमर शहीद बाबा जीवन सिंह की तरफ से प्रधान सरपंच हीरा सिंह के सहयोग से गांव बासरके में गुरु गोबिद सिंह जी के प्रकाश पर्व को समर्पित पांच प्यारों की अगुआई में नगर कीर्तन निकाला गया। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी की छत्रछाया में सजाए गए नगर कीर्तन के दौरान संगत वाहेगुरु का जाप करते हुए चल रही थी। रास्ते में श्रद्धालुओं की तरफ से नगर कीर्तन के आयोजकों को सिरोपा देकर सम्मानित किया गया। संगत के लिए लंगर भी लगाया गया। इस मौके प्रधान सरपंच हीरा सिंह ने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के जीवन के बारे में जानकारी दी और गुरु साहिबान के बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया। इस मौके कश्मीर सिंह मुहावा, सुखदेव सिंह, अवतार सिंह, देसा सिंह, प्यारा सिंह, मनजीत सिंह, जगतार सिंह, सरबजीत सिंह, दमनप्रीत सिंह मुहावा, सतपाल सिंह मुहावा आदि उपस्थित थे। माघी के मेले पर धार्मिक समागम में उमड़ी संगत

सिख कौम के महान शहीद भाई महा सिंह और उनके साथियों की याद में गुरुद्वारा वां तारा सिंह में माघी का जोड़ मेला मनाया गया। इससे पहले श्री अखंड पाठ साहिब का भोग डाला गया और फिर दीवान सजाए गए। इस दौरान काफी संख्या में संगत ने हाजिरी लगाई।

ढाडी गुरभेज सिंह चविंडा, जोगा सिंह भागोवालिया मस्सा सिंह, तरसेम सिंह खालसा, एसजीपीसी मेंबर अजैब सिंह ने बाबा तारा सिंह वां, बाबा शाम सिंह नारला, सुक्खा सिंह कंबोके, तारू सिंह पूहला की कुर्बानी का जिक्र करते हुए कहा कि सिख कौम का इतिहास गौरवमई है। आइटीआइ कालेज के एमडी इंद्रजीत सिंह कलसियां, किसान नेता सुखविंदर सिंह सभरा, जरनैल सिंह, जसविंदर सिंह वां, कश्मीर सिंह, परविंदर सिंह, दया सिंह, ग्रंथी जसवंत सिंह, पाल सिंह उधोके, सतनाम सिंह, सुखवंत सिंह, हरप्रीत सिंह उधोके, पटवारी गोपाल सिंह ने संबोधन करते हुए माघी के मेले की बधाई दी। सारा दिन गुरु घर में गुरु का लंगर बांटा गया।

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