सीबीआइ जांच के लिए डायरेक्टर, सीएम और डीजीपी को लिखा पत्र

एक्स सर्विसमैन हेल्थ कंट्रीब्यूट्री स्कीम (ईसीएचएस) में इलाज के नाम पर फर्जीवाड़ा करने का मामला फिर सुर्खियों में है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 07:30 PM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 07:30 PM (IST)
सीबीआइ जांच के लिए डायरेक्टर, सीएम और डीजीपी को लिखा पत्र
सीबीआइ जांच के लिए डायरेक्टर, सीएम और डीजीपी को लिखा पत्र

जासं, अमृतसर: एक्स सर्विसमैन हेल्थ कंट्रीब्यूट्री स्कीम (ईसीएचएस) में इलाज के नाम पर फर्जीवाड़ा करने का मामला फिर सुर्खियों में है। थाना कंटोनमेंट पुलिस की ओर से अक्टूबर में शहर के 16 बड़े डाक्टरों समेत 25 लोगों के खिलाफ दर्ज किए धोखाधड़ी के केस में डाक्टरों को क्लीन चिट देने पर शहीद-ए-आजम भगत सिंह यूथ फ्रंट के चेयरमैन गुरमीत बबलू ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदर सिंह, डीजीपी दिनकर गुप्ता और सीबीआइ के डायरेक्टर को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने कहा है कि यह मामला सेना से जुड़ा हुआ है और इसकी जांच आर्मी इंटेलीजेंस, मिलिट्री पुलिस या फिर सीबीआइ से करवाई जाए। उन्होंने कहा कि अगर 10 दिनों में किसी निष्पक्ष एजेंसी से इसकी जांच नहीं करवाई जाती है तो वह मामले को हाई कोर्ट में लेकर जाएंगे और जिस अधिकारी ने 16 डाक्टरों को क्लीन चिट दी है, उन्हें पार्टी बनाकर सच सामने लाया जाएगा।

चेयरमैन गुरमीत सिंह का कहना है कि पहले तो थाना कंटोनमेंट की पुलिस मामला दर्ज करती है और फिर पुलिस अधिकारी खुद ही इसकी जांच करने के नाम पर 16 डाक्टरों को क्लीन चिट दे देते हैं। क्या यह अधिकारी अदालत से भी ऊपर हो गए हैं। अगर मामला दर्ज हुआ है तो इसका फैसला अदालत ने करना है। उन्होंने कहा कि पुलिस ने बड़ा घोटाला कहकर यह मामला दर्ज किया था, लेकिन इसमें कितना घोटाला हुआ है, पुलिस ने अभी तक उजागर नहीं किया है और न ही जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की है। लाखों रुपये ठगने के लगे थे आरोप

केंद्र सरकार की ईसीएचएस स्कीम के तहत आर्मी के रिटायर्ड अधिकारियों और जवानों का फ्री इलाज होता है। इसमें डाक्टरों पर फर्जीवाड़ा का आरोप है। थाना कंटोनमेंट में ब्रिगेडियर एमडी उपाध्याय ने इसकी शिकायत दी थी, जिसमें उन्होंने कई डाक्टरों के नाम देते हुए बताया था कि ये सभी बाकी आरोपितों के साथ मिलकर फर्जी दस्तावेज तैयार कर मरीजों को कई दिनों तक अस्पताल में दाखिल दिखाते थे, जबकि मरीज को कुछ दिनों बाद ही छुट्टी दे दी जाती थी।

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