40 महीने से नहीं मिला वेतन, पुलिस नाकों पर कट रही जेब

। कोरोना वायरस ने हर क्षेत्र में आर्थिक संकट उत्पन्न कर दिया है लेकिन लेबर स्कूलों के अध्यापक व स्टाफ तो कोरोना काल से पूर्व ही आर्थिक तंगी से जूझते रहे अब भी जूझ रहे हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 11:05 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 11:05 PM (IST)
40 महीने से नहीं मिला वेतन, पुलिस नाकों पर कट रही जेब
40 महीने से नहीं मिला वेतन, पुलिस नाकों पर कट रही जेब

जागरण संवाददाता, अमृतसर

कोरोना वायरस ने हर क्षेत्र में आर्थिक संकट उत्पन्न कर दिया है, लेकिन लेबर स्कूलों के अध्यापक व स्टाफ तो कोरोना काल से पूर्व ही आर्थिक तंगी से जूझते रहे, अब भी जूझ रहे हैं। पिछले 40 महीने से इन्हें वेतन नहीं मिला। दूसरी तरफ इन अध्यापकों की पीड़ा उस वक्त बढ़ जाती है जब ट्रैफिक पुलिस राह में रोक कर इनका चालान काटती है।

लेबर स्कूल ढपई में कार्यरत अध्यापक जसवंत सिंह का इस बात को लेकर पुलिस से विवाद भी हुआ। दरअसल, वह अपनी पत्नी के साथ नहरी दफ्तर के नजदीक से बाइक से निकल रहे थे। इसी दौरान ट्रैफिक पुलिस ने उन्हें रोका। लाइसेंस व आरसी मांगी। दोनों दस्तावेज देखने के बाद पुलिस ने कहा कि प्रदूषण सर्टिफिकेट व इंश्योरेंस भी दिखाएं। इस पर जसवंत सिंह ने कहा कि पिछले 40 महीने से उन्हें सरकार से वेतन नहीं मिला। जेब खाली है, इसलिए इंश्योरेंस व प्रदूषण नहीं करवा पाए। पुलिस ने पांच हजार रुपये का चालान काटने की बात कही। ऐसे में मैंने अपना मोटरसाइकिल साइड में खड़ा किया और इसकी चाबी पुलिस को थमाते हुए कहा कि आप मोटरसाइकिल जब्त कर लो, मैं ऑटो पर चला जाऊंगा। मेरे सहित समस्त अध्यापक आर्थिक तंगी झेल रहे हैं और सरकार चालान का डंडा चलाकर हम पर जुल्म कर रही है। यह सहन नहीं होगा। इससे पहले कि ऑटो वाला आता, पुलिस ने जसवंत सिंह को मोटरसाइकिल की चाबी थमा दी और घर जाने को कहा।

जसवंत के अनुसार मेरे सहित लेबर स्कूल में 300 अध्यापक व सहयोगी स्टाफ कार्यरत है, जो तकरीबन तीन वर्षों से वेतन का इंतजार कर रहा है। जिस प्रकार पंजाब सरकार आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोगों को राशन उपलब्ध करवा रही है उसी तरह यह नियम भी बनाए कि कोरोना काल में दोपहिया वाहन चालकों के प्रदूषण व इंश्योरेंस सर्टिफिकेट चेक नहीं किए जाएंगे, क्योंकि लोगों के पास पैसा नहीं है।

इस संबंध में उन्होंने पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखकर साफ कहा है कि नाकों पर तैनात पुलिस दोपहिया वाहन चालकों के मास्क चेक करे। आरसी देखें, लाइसेंस की भी जांच कर लें। ये दस्तावेज नहीं हैं तो चालान काटा जाए। लेबर स्कूल के कई अध्यापकों का चालान कट चुका है। यह बहुत ही पीड़ादायक है।

डीसी ऑफिस में फैला कोरोना, अध्यापकों के वेतन पर लगा विराम

वर्ष 2001 में श्रमिकों के बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान करने के मकसद से केंद्र सरकार ने जिले में 39 लेबर स्कूलों की स्थापना की थी। अफसोसनाक पहलू है कि यहां कार्यरत अध्यापकों व सहयोगी स्टाफ को कभी समय पर वेतन नहीं मिला। अब तो हद हो गई। 2017 के बाद एक पैसा सरकार ने नहीं दिया। जसवंत सिंह के अनुसार इस संबंध में तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर शिवदुलार सिंह ढिल्लों से बात की। डीसी ही वेतन के लिए डीईओ बनाकर केंद्र सरकार को भेजते हैं। डीसी ऑफिस में कोरोना फैल गया, तो इसे बंद कर दिया गया।

नितिन धीमान

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