लोगों को प्रताड़ित कर रहे ब्याजखोर, पुलिस खामोश
शहर में ब्याजखोरों ने आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोगों पर पूरी तरह से शिकंजा कस दिया है।
जागरण संवाददाता, अमृतसर
शहर में ब्याजखोरों ने आर्थिक दृष्टि से कमजोर लोगों पर पूरी तरह से शिकंजा कस दिया है। कोरोना काल में जब ब्याजखोरों को लोग ब्याज नहीं दे पाए तो उन्हें जान से मारने की धमकियां तक मिलीं। रविवार को लोक इंसाफ पार्टी ने ऐसे चार लोगों के बारे में जानकारी दी जो ब्याजखोरों की चंगुल में बुरी तरह फंस चुके हैं और उन्हें प्रताड़ित भी किया गया।
पत्रकारों से बातचीत करते हुए मनदीप सिंह बब्बी ने कहा कि विवेक शर्मा निवासी आदर्श नगर कोट खालसा ने पांच साल पहले एक व्यक्ति से चालीस हजार रुपये ब्याज पर लिए थे। इस रकम के बदले सिक्योरिटी चेक उसे दे दिया। इसके बाद से लगातार सनी का कामकाज ठीक से नहीं चला। लाकडाउन में तो उसकी कमर टूट गई। वह दाने दाने को मोहताज हो गया। ब्याज देना तो उसके वश में ही नहीं था। इसी दौरान ब्याजखोर ने उसे धमकियां दीं। पैसे न मिलने पर चालीस हजार रुपये की रकम को लाखों रुपये कर दिया। वहीं उसे पीटा भी।
बब्बी ने कहा कि ऐसे कई परिवार हैं जो मुसीबत के वक्त ब्याज पर रकम लेते हैं। ब्याजखोर इनका नाजायज फायदा उठाते हैं। नियमानुसार दो प्रतिशत ब्याज बनता है, पर ब्याजखोर उनसे दस से पंद्रह प्रतिशत रकम वसूलते हैं।
विवेक ने जिस व्यक्ति से ब्याज पर रकम ली थी वह एक गैंगस्टर का करीबी है। अफसोस की बात यह है कि पुलिस प्रशासन भी इनके खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहा। विवेक के अनुसार 29 नवंबर को ब्याजखोर ने मुझे नहरी कार्यालय के समीप दबोच लिया। मैं आटो में बैठ कर सवारी का इंतजार कर रहा था। मुझे गालियां दीं। पीटा। इसकी शिकायत मैंने पुलिस कमिश्नर को लिखित में दी। मेरी शिकायत थाना कोट खालसा पुलिस में मार्क हुई। दोनों पार्टियों को थाने में बुलाया गया। थाने में ही ब्याजखोर मुझे धमकियां देने लगा। पुलिस भी उसकी हां में हां मिलाती रही।
मनदीप बब्बी ने कहा कि विवेक की तरह ही उक्त ब्याजखोर की चंगुल में सैकड़ों लोग फंसे हैं। वे लोगों को धमकाते हैं। पुलिस भी कोई सुनवाई नहीं करती।