विज्ञान के माध्यम से ही विश्वगुरु बन सकता है भारत

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में राजनीतिक आंदोलनकारियों क्रांतिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के योगदान की चर्चा होती है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 09 Sep 2021 11:27 PM (IST) Updated:Thu, 09 Sep 2021 11:27 PM (IST)
विज्ञान के माध्यम से ही विश्वगुरु बन सकता है भारत
विज्ञान के माध्यम से ही विश्वगुरु बन सकता है भारत

अमृतसर (वि.) : भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में राजनीतिक आंदोलनकारियों, क्रांतिकारियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के योगदान की चर्चा होती है। स्वाधीनता की चेतना जगाने और स्वतंत्र देश के भविष्य-निर्माण की आधारशिला रखने वाले वैज्ञानिकों के महत्वपूर्ण योगदान की चर्चा कम ही होती है। वैज्ञानिक योग्यता की तुलना में वैज्ञानिक दृष्टिकोण अधिक महत्वपूर्ण होता है। गांधी की अहिसा और सत्याग्रह और कुछ नहीं बल्कि आक्रामकता के खिलाफ एक मूक जैविक युद्ध था। विज्ञान से जुड़े विषयों का बेहतर उपयोग करने के लिए जरूरी नहीं कि कोई विद्यार्थी या विज्ञान का विद्वान ही ऐसा कर सकता है। बल्कि ऐसा करने के लिए व्यक्ति में वैज्ञानिक दृष्टिकोण का होना अधिक महत्वपूर्ण है। यह विचार विज्ञान प्रसार के वैज्ञानिक डा. अरविद सी रानाडे ने डीएवी कालेज द्वारा भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष को समर्पित एक वेबिनार में रखे। वेबिनार का आयोजन डीएसटी के सहयोग से भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित करवाया गया था। कालेज के वाइस प्रिसिपल प्रोफेसर रजनीश पोपी ने विज्ञान के महत्व संबंधी कहा कि विज्ञान के माध्यम से ही भारत विश्वगुरु बन सकता है। हमें विज्ञान की सभी धाराओं में तालमेल बिठाने और अन्य हितधारकों की भागीदारी के साथ विषय आधारित अनुसंधान परियोजनाओं को शुरू करने की आवश्यकता है। फिजिक्स विभाग के मुखी डा. समीर कालिया ने कहा कि विज्ञान को केवल वैज्ञानिकों पर नहीं छोड़ा जाना चाहिए, क्योंकि यह जीवन के हर पहलू से जुड़ा है। उन्होंने स्मरण दिलाया कि स्वामी विवेकानंद ने बेंगलुरु में भारतीय विज्ञान संस्थान की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

इस मौके पर डा. राजेश शर्मा , डा. अजय शर्मा, डा. नीरू गुप्ता, डा. मनिदर कौर, डा. मनप्रीत कौर, डा. अजय शर्मा, डा. नीरजा कालिया, डा. विभा चोपड़ा व विजय कुमार मौजूद थे।

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