भारतीय संस्कृति में गुरू को साक्षात ईश्वर माना गया: प्रो. लाल

पूर्व डिप्टी स्पीकर प्रो. दरबारी लाल ने गुरु पूर्णिमा के पवित्र त्योहार पर कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरु को सर्वोच एवं सर्वेश्रेष्ठ स्थान दिया गया है। गुरु ही शिष्यों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण के लिए उन्हें ब्रह्मांड का ज्ञान प्रदान करता है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 11:02 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 11:02 PM (IST)
भारतीय संस्कृति में गुरू को साक्षात ईश्वर माना गया: प्रो. लाल
भारतीय संस्कृति में गुरू को साक्षात ईश्वर माना गया: प्रो. लाल

संवाद सहयोगी, अमृतसर : पूर्व डिप्टी स्पीकर प्रो. दरबारी लाल ने गुरु पूर्णिमा के पवित्र त्योहार पर कहा कि भारतीय संस्कृति में गुरु को सर्वोच्च एवं सर्वेश्रेष्ठ स्थान दिया गया है। गुरु ही शिष्यों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण के लिए उन्हें ब्रह्मांड का ज्ञान प्रदान करता है। इससे उनके मानसिक विकास की वृद्धि होती है और उन्हें सामाजिक कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को सरअंजाम देने में कोई मुश्किल नहीं होती और जीवन की समस्याओं के समाधान में भी वह हमेशा अग्रणी बने रहते है। इसलिए गुरू को ब्रह्मा, विष्णु और महेश के उच्चकोटि की पदवी से नवाजा गया है।

इस मौके पर प्रो. लाल ने अपने गुरु महान स्वतंत्रता सेनानी मास्टर जगन्नाथ पाठक की धर्मपत्नी शीला देवी को उनके निवास स्थान गली लंबा खूह बंबे वाला मे सम्मानित किया। इस अवसर पर जवाहर लाल पाठक , रवि कुमार,भुपिदर सिह , सुरेन्द्र अर्जुन शर्मा, राम स्वरुप , राजपाल, रक्षित दता , वरिदर दयाल सिंह, हरि सिह , नवदीप शर्मा, एडवोकेट भाविका, मधु पाठक, नीरू पाठक , वैष्णवी , सजना कुमारी, अरुणा शर्मा आदि मौजूद थे।

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