ज्ञान को उपकार के लिए उपयोग नहीं किया तो वह अर्थहीन

जगत गुरु नानक देव स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी के उप कुलपति डा. कर्मजीत सिंह ने कहा कि गुरु नानक देव जी की बाणी में शिक्षण फलसफा विश्व अकादमिक को अगुआई देने वाला है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Nov 2021 08:25 PM (IST) Updated:Wed, 24 Nov 2021 08:25 PM (IST)
ज्ञान को उपकार के लिए उपयोग नहीं किया तो वह अर्थहीन
ज्ञान को उपकार के लिए उपयोग नहीं किया तो वह अर्थहीन

जागरण संवाददाता, अमृतसर: जगत गुरु नानक देव स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी के उप कुलपति डा. कर्मजीत सिंह ने कहा कि गुरु नानक देव जी की बाणी में शिक्षण फलसफा विश्व अकादमिक को अगुआई देने वाला है। इसमें आध्यात्मिकता की नई चुनौतियों का सामना करने की असीम संभावनाएं हैं। वह गुरु नानक देव विश्वविद्यालय (जीएनडीयू) के 52वें स्थापना दिवस पर वहां आयोजित सेमिनार में संबोधित कर रहे थे।

डा. कर्मजीत सिंह ने कहा कि ज्ञान हासिल करने के बाद अगर उसे उपकार के लिए उपयोग नहीं किया जाता तो वह ज्ञान अर्थहीन है। मानवता का शुभ अमल ही किरती की पूंजी है जो उसको आध्यात्मिक बल प्रदान करती है। भक्ति के मार्ग पर चलने वाले में संतोष बढ़ता है जिस के बल से असंभव को भी संभव किया जा सकता है। यही गुरु साहिब की शिक्षाओं का निचोड़ है।

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एमरीटेक व हरियाणा अकादमी आफ हिस्ट्री एंड कल्चर के प्रो. रघुवेंद्रा तंवर ने कहा कि गुरु साहिब की शिक्षाओं के आधार पर जिस उद्देश्य को लेकर जीएनडीयू की स्थापना की गई थी, विश्वविद्यालय उन लक्ष्यों को पूरा कर रहा है। उन्होंने इस मौके पर जम्मू कश्मीर के इतिहास, विरासत और 1947 की परिस्थितियों पर विस्तार से जानकारी प्रदान की। वहां के लोगों के नजरिए के संबंध में बताया और लोगों की मुश्किलों को उठाया। डीन अकादमिक प्रो. हरजीत सिंह ने विशेष अतिथियों का स्वागत किया। वीसी डा. जसपाल सिंह ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों की जानकारी दी। इस दौरान विश्वविद्यालय के वीसी प्रो. कर्णजीत सिंह काहलों, डीन छात्र कल्याण डा. अनीश दुआ ने भी विचार पेश किए। कार्यक्रम के बाद विद्यार्थियों और आए अतिथियों ने गुरु का लंगर छका। लोक कला, पेंटिग व पुस्तक प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र

इससे पहले जीएनडीयू के स्थापना दिवस की शुरुआत श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पाठ के भोग के बाद की अरदास के साथ हुई। श्री हरिमंदिर साहिब के हजूरी रागी भाई कमलजीत सिंह की ओर से इलाही बाणी का कीर्तन किया गया। कैंपस में अलग-अलग कालेजों की विद्यार्थियों की ओर से लगाई गई लोक कला, पेंटिग व पुस्तक प्रदर्शनी विद्यार्थियों, अध्यापकों और नान टीचिग कर्मचारियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी। इस दौरान विद्यार्थियों से विश्वविद्यालय की सुंदर इमारतों, बगीचों व अलग अलग व्यू की करवाई गई पेंटिग प्रतियोगिता में विद्यार्थी कलाकारों ने बढ़ी संख्या में हिस्सा लिया। इसमें एपीजे कालेज जालंधर ने पहला स्थान, खालसा कालेज अमृतसर के साहित चढ्डा ने दूसरा स्थान और एचएमवी कालेज जालंधर की सुजाता ने तीसरा स्थान हासिल किया। इन विद्यार्थियों को विश्वविद्यालय की ओर से नकद पुरस्कार देकर सम्मनित किया गया। अलग अलग कालेजों के विद्यार्थियों की ओर से लगाई गई लोक कला प्रदर्शनी विद्यार्थियों और अतिथियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र थी। इसमें विद्यार्थियों की ओर से पंजाब के पुरात्न सभ्याचार को प्रदर्शित किया गया जो आज पश्चिमी सभ्यता की चकाचौंध में लुप्त होती जा रही है।

chat bot
आपका साथी