टीबी उन्मूलन का राग पर नहीं हो रही जांच और उपचार
पंजाब को 2022 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित कर चुकी सरकार सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएं प्रदान नहीं कर रही।
नितिन धीमान, अमृतसर : पंजाब को 2022 तक टीबी मुक्त करने का लक्ष्य निर्धारित कर चुकी सरकार सरकारी अस्पतालों में बुनियादी सुविधाएं प्रदान नहीं कर रही। अमृतसर के टीबी व सिविल अस्पताल में पिछले तीन माह से टीबी का सटीक एवं प्रभावी टेस्ट नहीं हो पा रहा। कारण है सीबी नेट मशीन की काटरेज की उपलब्धता न होना। तीन महीनों से सरकार ने उक्त अस्पतालों में काटरेज उपलब्ध नहीं करवाई। इसका दुष्परिणाम यह है कि नए मरीजों को चिहिन्त करने में डाक्टरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा हैं
दरअसल, सीबी नेट मशीन में एक साथ आठ सैंपल रखकर छह से आठ घंटे में रिपोर्ट हासिल की जाती है। यह मशीन इतनी प्रभावी है कि इससे यह जानकारी भी मिल जाती है कि मरीज को किस स्तर का टीबी है और कौनसी दवा उस पर जल्द असर करेगी।
वर्तमान में उपरोक्त दोनों अस्पतालों में ट्रू नेट मशीन से मरीजों की जांच की जा रही है। ट्रू नेट में महज एक सैंपल ही रखा जा सकता है। दूसरी तरफ जिले में प्रतिदिन चालीस से पचास लोग टीबी की जांच के लिए सैंपल देने आ रहे हैं। इन अस्पतालों में 300 से अधिक सैंपल जांच की प्रतीक्षा में हैं। सीबी नेट बंद होने का दुष्परिणाम यह है कि सैंपल रिपोर्ट प्राप्त करने में पंद्रह से बीस दिन का समय लग रहा है। टीबी एक संक्रामक रोग है। संदिग्ध मरीज को तब तक टीबी संक्रमित नहीं माना जा सकता जब तक रिपोर्ट न आ जाए। पंद्रह दिन तक रिपोर्ट न आने से न तो मरीज का उपचार शुरू हो पा रहा है और न ही उसके संपर्क में आए लोगों की तलाश संभव हो पा रही है। दूसरे अस्पतालों में भी टेस्टिंग करवा रहे: डा. चावला
जिला टीबी अधिकारी डा. नरेश चावला का कहना है कि हम प्रयास कर रहे हैं कि सभी मरीजों का टेस्ट शीघ्रातिशीघ्र हो। इसके लिए अजनाला सिविल अस्पताल, श्री गुरु रामदास अस्पताल वल्ला में भी ट्रू नेट मशीनों के जरिए सैंपलों की टेस्टिंग की जा रही है। अमृतसर में 5600 सक्रिय टीबी मरीज, बढ़ रहा आंकड़ा
केंद्र सरकार ने देश में 2025 में टीबी के खात्मे का लक्ष्य निर्धारित किया है, जबकि पंजाब सरकार ने 2022। जिले में सक्रिय टीबी मरीजों की संख्या 5600 है। इनमें 1400 मरीज निजी अस्पतालों में, जबकि शेष 4100 सरकारी अस्पतालों से दवा का कोर्स पूरा कर रहे हैं। टीबी मरीजों की संख्या में इस वर्ष वृद्धि हुई है। इसका मुख्य कारण ट्रेसिग तेज होना है। वर्ष 2020 में प्रतिमाह औसतन सौ मरीज मिल रहे थे, तो इस वर्ष यह दो सौ मरीज रिपोर्ट हो रहे हैं। मरीजों की बढ़ती संख्या चिताजनक है, पर इससे भी बड़ी चिता यह है कि सरकार व्यवस्था में सुधार नहीं कर पा रही।