कृषि में नई खोज के लिए जीएनडीयू और आइसीएआर ने किया एमओयू साइन

कृषि में नई खोज करने के लिए गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी और इंडियन कौंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च के लिए अहम समझौता किया गया

By JagranEdited By: Publish:Tue, 24 Aug 2021 06:28 PM (IST) Updated:Tue, 24 Aug 2021 06:28 PM (IST)
कृषि में नई खोज के लिए जीएनडीयू और आइसीएआर ने किया एमओयू साइन
कृषि में नई खोज के लिए जीएनडीयू और आइसीएआर ने किया एमओयू साइन

जागरण संवाददाता, अमृतसर

कृषि में नई खोज करने के लिए गुरु नानक देव यूनिवर्सिटी और इंडियन कौंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च के लिए अहम समझौता किया गया। इस पर जीएनडीयू के वीसी डा. जसपाल सिंह संधू और आइसीएआर इंडियन इंस्टीट्यूट आफ मेज रिसर्च लुधियाना के डायरेक्टर डा. सुजे रक्षित ने हस्ताक्षर किया। इस समझौते के तहत दोनों संस्थाओं की ओर से कृषि में और सुधार लाने के लिए जानकारी सांझा की जाएगी और साथ ही मिलकर रिसर्च की जाएगी। ताकि बिना केमिकल और कीटनाशक का प्रयोग किए नई तकनीक के साथ खेती की जा सके। वीसी संधू ने कहा कि आज के समय में बहुत सारे ऐसे मुद्दे है। जिन्हें हमारे खोज कर्ताओं के जरिए नई टेक्नोलाजी का प्रयोग कर हल कर सकते है।

उन्होंने कहा कि मनुष्य की जरूरत को बिना किसी नुकसान से पूरा करने के लिए भोजन की क्वालिटी में सुधार लाने की जरूरत है। इसके साथ ही वातावरण के प्रति गंभीर होने की जरूरत है और पानी के गिर रहे स्तर के बारे में विचार करना चाहिए। इसलिए इस तरह की फसलों को उत्साहित करने की जरूरत है। जहां पर पानी का कम प्रयोग हो। इस समझौते के साथ की गई रिसर्च मानवता के लिए बेहद फायदेमंद होगी। वहीं डा. सुजे रक्षित ने कहा कि इस समझौते के जरिए यह खोज की जाएगी कि टेक्नोलाजी का प्रयोग कब और कैसे करना है। ताकि फसलों में वृद्धि हो सके और जंगल, पेड़-पशु व जीव भी सुरक्षित रह सकें। जीएनडीयू की मदद के साथ आइसीएआर वातावरण में आ रहे बदलाव, खेती के लिए प्रयोग होने वाले सामान, कृषि शैड सेंटर और किसानों की उत्पादकता पर गंभीर से विचार किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि आईसीएआर देश की प्रसिद्ध संस्था है। जोकि कृषि के क्षेत्र में लगातार रिसर्च कर रही है। इसके अधीन पूरे देश में 113 संस्थाएं, 75 कृषि यूनिवर्सिटियां और 716 कृषि विज्ञान सेंटर है।

वहीं जीएनडीयू के इंडस्ट्री लिकेज प्रोग्राम के कोआर्डिनेटर डा. प्रीत महिदर सिंह बेदी ने कहा कि आज के समय में कृषि और सामाज को पेश आ रही परेशानियों के सामने रख कर इस समझौते को डिजाइन किया गया है।

chat bot
आपका साथी