पराली को खेतों में ही मिक्स करके अधिक उत्पादन हासिल कर रहा किसान गुरमीत सिंह
कुछेक किसान अपने खेतों की पराली को आग लगा रहे हैं जो पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, अमृतसर : कुछेक किसान अपने खेतों की पराली को आग लगा रहे हैं जो पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। उधर कुछ किसान ऐसे भी हैं जो पराली को आग लगाए बिना ही पराली को खेतों में जोतकर धरती की उपजाऊ शक्ति में वृद्धि करते हुए अन्य किसानों के लिए प्रेरक बन रहे हैं।
ब्लाक मजीठा के गांव ढड्डे के किसान गुरमीत सिंह ऐसे किसान हैं जिन्होंने पराली को खेतों में जोतकर अपने उत्पादन को बढ़ा कर रासायनिक खादों के उपयोग को काफी कम कर दिया है। कृषि अफसर अमनप्रीत सिंह ने बतया कि गुरमीत सिंह 50 एकड़ भूमि पर खेती करता है। पिछले तीन वर्षों से उसने एक बार भी पराली को आग नहीं लगाई। वह सुपर एमएसएम वाली कंबाइन से धान की कटाई करवाता है और सुपरसीडर की सहायता से पराली को खेत में भी जोत देता है। ऐसा करने से दूसरी फसल बीज दी जाती है और अब खेतों में उसके उपयोग की रासायनिक खाद की मात्रा भी आधी रह गई है। पहले वह तीन बोरियां खाद का उपयोग प्रति एकड़ करता था अब व डेढ़ बोरी खाद प्रति एकड़ उपयोग करता है। इसके चलते उसकी दूसरी फसलों का उत्पाद 20 प्रतिशत तक बढ़ गया है।
कृषि अधिकारी अमनप्रीत सिंह ने कहा कि अगर किसान पराली और गेहूं की नाड़ को जलाने की जगह खेतों में ही मिक्स कर दें तो इससे उनका उत्पादन भी बढे़गा और पर्यावरण की भी रक्षा होगी।