ईसीएचएस घोटाले में एक और निजी अस्पताल के संचालक पर केस दर्ज

अमृतसर में ईसीएचएस में घोटाले के आरोप में पुलिस ने एक और निजी अस्पताल के खिलाफ केस दर्ज किया है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 21 Aug 2021 07:07 PM (IST) Updated:Sat, 21 Aug 2021 07:07 PM (IST)
ईसीएचएस घोटाले में एक और निजी अस्पताल के संचालक पर केस दर्ज
ईसीएचएस घोटाले में एक और निजी अस्पताल के संचालक पर केस दर्ज

जागरण संवाददाता, अमृतसर : एक्स सर्विसमैन कंट्रीब्यूट्री हेल्थ स्कीम (ईसीएचएस) में घोटाले के आरोप में पुलिस ने एक और डाक्टर के खिलाफ केस दर्ज किया है। सेना के ब्रिगेडियर एमडी उपाध्याय की शिकायत पर थाना कैंटोनमेंट पुलिस ने जीवनजोत अस्पताल के संचालक डा. रंजू नंदा को नामजद किया है।

ब्रिगेडियर उपाध्याय ने नौ अगस्त को पुलिस को शिकायत दी थी कि जीवनजोत अस्पताल में ईसीएचएस योजना से जुड़े मरीजों को दाखिल किए बिना फर्जी मरीजों के दस्तावेज बनाए गए। इन दस्तावेजों के जरिए सेना से क्लेम ले लिया गया। इससे पूर्व पुलिस ने जिले के आठ निजी अस्पतालों के संचालकों सहित कुल डाक्टरों सहित 24 लोगों पर केस दर्ज किया था। शहर के बड़े निजी अस्पतालों के संचालक भी आरोपित थे। एक डाक्टर ने अपनी पत्नी का फर्जी एडमिट कार्ड बना लिया था और फिर उसे मरीज बताकर फर्जी उपचार कर रहा था।

थाना कैंटोनमेंट की पुलिस ने धोखाधड़ी, फर्जी दस्तावेज तैयार करने, उनसे लाभ लेने व षड्यंत्र रचने के आरोप में विभिन्न धाराओं के तहत डा. रंजू नंदा के खिलाफ केस दर्ज किया है।

ऐसे किया जाता था घोटाला

उपरोक्त निजी अस्पतालों में इस प्रकार ईसीएचएस का दुरुपयोग किया जाता था। पूर्व सैनिकों के पास निजी अस्प्तालों के कारिदे जाते थे। उन्हें कहते थे कि सरकार द्वारा एक सुविधा दी जा रही है, जिसके तहत आपके अकाउंट में पैसे आएंगे। इसके लिए आपको अपना ईसीएचएस द्वारा जारी कार्ड देना होगा। ये कारिदे पूर्व सैनिकों को बरगलाकर उनका कार्ड हथिया लेते थे और फिर अस्पताल में फर्जी दस्तावेज तैयार कर ईसीएचएस का क्लेम लेते थे। यह सारा काम अस्पताल प्रशासन के कहने पर होता था। दूसरा तरीका यह था कि ईसीएचएस का फर्जी कार्ड व दस्तावेज तैयार किए जाते थे।

इंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन ने की है सीबीआइ जांच की मांग

स्वास्थ्य विभाग की इंप्लाइज वेलफेयर एसोसिएशन ने इस मामले की सीबीआइ जांच की मांग की है। एसोसिएशन के चेयरमैन राकेश शर्मा ने कहा कि इतना बड़ा घोटाला ईसीएचएस के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना संभव नहीं। सेना अस्पताल के डाक्टर ही मरीजों को ईसीएचएस सुविधा से लैस निजी अस्पतालों में रेफर करते हैं। इन डाक्टरों ने बिना जांचे परखे बिल कैसे पास किए। शहर के एक अस्पताल के खिलाफ सात माह पूर्व एफआइआर दर्ज की गई थी, उसे इस मामले से अलग क्यों रखा गया।

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