डगमगाई नहीं डा. शैली जग्गी, लोगों के हक के लिए आवाज की बुलंद

नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 13 Oct 2021 12:02 AM (IST) Updated:Wed, 13 Oct 2021 01:59 AM (IST)
डगमगाई नहीं डा. शैली जग्गी, लोगों के हक के लिए आवाज की बुलंद
डगमगाई नहीं डा. शैली जग्गी, लोगों के हक के लिए आवाज की बुलंद

जासं, अमृतसर: नवरात्र के आठवें दिन मां महागौरी शक्ति की पूजा की जाती है। मा का यह अवतार विषम परिस्थितयों में न डगमगाने, सही दिशा में चलते रहने और क‌र्त्तव्यों का पालन करने की प्रेरणा देता है। मा के इस स्वरूप से प्रेरणा लेकर डा. शैली जग्गी ने ज्ञान के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में कदम रखा। बचपन से मेधावी विद्यार्थी रही डा. शैली जग्गी इस समय बीबीके डीएवी कालेज फार वूमेन के हिदी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर सेवा निभा रही हैं। बचपन से उन्हें अध्यापन व दूसरों के हक के लिए आवाज बुलंद करना पसंद था, इसमें उन्हें काफी मुश्किलें भी आईं मगर उनका डटकर सामना किया। वह कभी डगमगाई नहीं। आखिर सही दिशा में चलते हुए वह लोगों की सेवा में जुटी रहीं। विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए प्रेरित किया। उनका कहना है कि उच्च शिक्षा हासिल करने से देश का भविष्य और सुनहरा बनेगा।

बकौल डा. शैली जग्गी एमए गोल्ड मेडलिस्ट होने के साथ-साथ यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन (यूजीसी-नेट) से पीएचडी की डिग्री होल्डर हैं और पिछले 24 साल से कालेज में अध्यापन कर रही हैं। रचनात्मक लेखन पर आधारित उनकी दो पुस्तकें और तीस से अधिक शोधपत्र विभिन्न साहित्यिक पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर लगातार तीन साल से उन्हें महिलाओं के लिए कार्य करने पर सम्मानित किया गया है। विभिन्न राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलनों में सहभागिता देने के साथ-साथ वह अपने महाविद्यालय में अध्यापन के साथ प्रेस एवं मीडिया अधिकारी की सेवा भी निभा रही हैं। वह तीन साल तक लोक अदालत की सदस्य भी रह चुकी हैं। अभिरुचि-लेखन, गायन, वाचन और दो हजार कविताओं का लेखन कर चुकी हैं और पिछले डेढ़ साल में देश के विभिन्न राष्ट्रीय समाचार पत्रों में नियमित लेखन छपवा चुकी हैं। कोरोना काल में रचनात्मक लेखन शुरू किया

कोरोना काल के लाकडाउन में उनका कवि रूप भी पहचाना गया है। उन्होंने सकारात्मक सोच के साथ रचनात्मक लेखन शुरू किया है। अब वह किसी भी विषय पर पांच मिनट में कविता लिख सकती हैं। कविता लेखन में उन्होंने कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं। कालेज में यूथ वेलफेयर विभाग से जुड़कर कविता, वादविवाद व संभाषण प्रतियोगियों को तैयार करने का पिछले बीस साल से उनका सफर जारी है। आर्य युवती सभा की हैं कन्वीनर

आर्यसमाज और वैदिक आदर्शो में विशेष आस्था, कालेज में आर्य युवती सभा की कन्वीनर होने के साथ अपनी सफलता के लिए ईश्वर की कृपा और कालेज की प्रिसिपल डा. पुष्पिदर वालिया को ही वह श्रेय देती हैं। भजन गायन का निरंतर अभ्यास करना उनको अच्छा लगता है। उनका कहना है कि सफलता के लिए कोई शार्टकट नहीं होता है। निरतंर मेहनत, अपने काम और डयूटी से न्याय करना चाहिए। जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आएं लोग

डा. शैली जग्गी का कहना है कि पूर्व जन्म के कर्मो पर हमारा वश नहीं, लेकिन इस जन्म में सभी संपन्न लोगों को जनहित में काम करने चाहिए। जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने बताया कि भक्ति और नेक कर्म की प्रेरणा उन्हें अपनी मां कविता जग्गी से मिली है जबकि परिश्रम के साथ-साथ सेवा का पाठ उनके पिता एसआर जग्गी ने सिखाया है।

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