गांवों में डेंगू बेअसर, शहर में मचा रहा कहर, 22 नए मरीज

जिले में वीरवार को 22 नए डेंगू के मरीज मिले।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 15 Oct 2021 09:00 AM (IST) Updated:Fri, 15 Oct 2021 09:00 AM (IST)
गांवों में डेंगू बेअसर, शहर में मचा रहा कहर, 22 नए मरीज
गांवों में डेंगू बेअसर, शहर में मचा रहा कहर, 22 नए मरीज

नितिन धीमान, अमृतसर: जिले में वीरवार को 22 नए डेंगू के मरीज मिले। पिछले 14 दिनों में यह एक दिन में आने वाले मरीजों का सर्वाधिक आंकड़ा है। सेहत विभाग के अनुसार अब जिले में डेंगू संक्रमितों का कुल आंकड़ा 969 तक जा पहुंचा है। रात-दिन बेचैन करने वाला मच्छर अब तेजी से अपने पैर पसारने लगा है।

सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्रों में तरनतारन रोड व सुल्तानविड रोड हैं। इसके अतिरिक्त वाल सिटी में घर-घर संदिग्ध बुखार से पीड़ित मरीज हैं। हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में डेंगू यानी एडीज एजिप्टी मच्छर बेअसर दिख रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में महज 10 फीसद डेंगू पाजिटिव ही रिपोर्ट हुए हैं। अब यह सवाल उठना तय है कि शहरी आबादी जागरूक होने के बावजूद डेंगू मच्छर का शिकार कैसे बन रही है। जागरूक शहरी बेपरवाह, जलजमाव की नहीं परवाह

खुद को जागरूक कहलवाने वाली शहरी आबादी डेंगू के मामले में बेपरवाह नजर आ रही है। जून में अमृतसर में तीन डेंगू पाजिटिव मरीज मिले। तीनों ही मरीज सुल्तानविड एरिया से थे। तब स्वास्थ्य विभाग ने जागरूकता का ढिढोरा शहर भर में पिटवाया कि लोग घरों में किसी भी स्थान या पात्र में पानी जमा न होने दें। विभाग की अपील निरर्थक साबित हुई। इसके बाद अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में तो डेंगू मच्छर ने जरा भी रहम नहीं किया। शहरी आबादी खासकर वाल सिटी की संकरी गलियों में घर-घर में डेंगू का लारवा मिला है। 40 से 50 वर्ग गज के चार मंजिला मकानों में खिड़कियों पर टंगे कूलरों में लारवा मिला। इन कूलरों में पानी भरने का तो इंतजाम लोगों ने किया है, पर निकासी का नहीं। नतीजतन पानी जमा रहता है और लारवा उत्पन्न होता रहा। इसी प्रकार लोगों ने घरों में दर्जनों गमले सजाकर रखे हैं। इनमें जलजमाव बना रहता है। डेंगू की जन्मस्थली बने 900 घरों के मालिकों का स्वास्थ्य विभाग ने 500-500 रुपये का चालान काटा है। जागरूकता का अभाव, पर मच्छर नहीं कर पाया बाल भी बांका

ग्रामीण क्षेत्रों में निसंदेह शिक्षा का अभाव है। लोग जागरूक भी कम हैं, पर यहां डेंगू मच्छर कहर नहीं बरपा सका। कारण यह है कि ग्रामीणों के घर काफी दूरी पर स्थिति हैं। मसलन, एक घर से दूसरे घर की दूसरी 200 से 300 मीटर है। वहीं ग्रामीण अपने घरों में गमलों, कूलरों आदि का प्रयोग कम करते हैं। इसके अतिरिक्त खेतों में पेस्टीसाइड का इस्तेमाल होने से डेंगू का लारवा नष्ट हो जाता है। हालांकि गांवों में छप्पड़ हैं, जिसमें लारवा पनपने की संभावना रहती है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने छप्पड़ों में गंबुजियां मछलियां छोड़ी हैं। ये मछलियां लारवा को चट कर जाती हैं।

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